अभी तक हमने पढ़ा की धारणा को आज एक रेप विक्टिम को इंसाफ दिलाना था। जिसमें वह काफी हद तक कामयाब भी हो गई थी। लेकिन इससे पहले कि उसकी जीत होती ।सामने वाले गुनहगारों ने अपनी चाल चल दी थी। उनके सबूत जला दिए गए थे और श्रुति ने अपने मुंह से ही कुबूल कर लिया था। कि सारी गलती उसकी थी वह अपनी मर्जी से उन चारों के साथ गई थी। क्योंकि उसे पैसे चाहिए थे।
श्रुति के बयान की वजह से धारणा केस हार गई थी और उसे बहुत दुख भी हो रहा था श्रुति को लेकर । उसे पता था कि उसने यह सब कुछ किसी मजबूरी में किया है। श्रुति वहां से भागकर सड़क में आ जाती है और एक ट्रक के आगे आकर सुसाइड कर लेती है।
धारणा को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। कि श्रुति ने ऐसा क्यों किया ??वह बहुत ज्यादा दुखी हो गई थी और वह अपने घर वापस चली जाती है।
धारणा का यह केस हाई प्रोफाइल केस बन गया था। इसलिए इसकी कवरेज टीवी पर भी दिखाई जा रही थी, और धारणा को टीवी पर दो आंखें बड़े प्यार से देख रही थी। यह था अगम पुरोहित जो एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन था। वैसे तो अगम एक पॉलिटिकल परिवार से आता था। लेकिन उसे पॉलिटिक्स में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं था। और उसने अपना बिजनेस खड़ा करने के लिए अपनी फैमिली प्रॉपर्टी को बिल्कुल भी यूज़ नहीं किया था ।अगम ने जो भी किया था ।अपनी मेहनत से किया था और अपनी सच्ची मेहनत से ही उसने इतना बड़ा बिजनेस खड़ा किया था।
अगम को अपनी प्रॉपर्टी की वजह से कोर्ट जाना पड़ता था। जहां पर उसने एक दो बार धारणा को देखा था और उसके केस इसकी सुनवाई भी देखी थी। जिस तरह से वह बोलती थी और जो कॉन्फिडेंस उसके अंदर था ।उससे सामने वाला वकील कुछ बोल ही नहीं पाता था। जिससे की धारणा अगम के दिल में बस गई थी ।अब वह किसी तरह से उसे अपना बनाना चाहता था।
इधर धारणा अपने घर पहुंच गई थी और वह काफी उदास थी ।उसकी मां को भी पता चल गया था कि कोर्ट में क्या हुआ है ??उसकी मां कहती है..
" बेटा उदास होने की जरूरत नहीं है। तुमने अपनी पूरी कोशिश की ।अब वह लड़की ही अपना बयान बदल गई। तो इसमें तुम क्या कर सकती हो?? चलो फ्रेश हो जाओ और चाय पी लो। धारणा वहां से चुपचाप उठकर अपने कमरे में चली जाती है और फ्रेश होकर वापस आ जाती है।
जैसे ही वह चाय का कप उठाकर अपने होठों से लगाने वाली होती है । उनकी डोरबैल बजती है और डोरबेल बार-बार बजे जा रही थी ।धारणा की मम्मी दरवाजा खोलती है ।तो सामने एक महिला पुरुष खड़े थे।
"हां जी कहिए ! आप लोग कौन हैं?? और किस से मिलना चाहते हैं??"
वह दोनों रोने लग जाते हैं और रोते-रोते कहते हैं..
" हमें हमें धारणा मैडम जी से मिलना है प्लीज मिलवा दीजिए! बहुत जरूरी है।"
तभी धारणा को आवाज सुनाई देती है तो पूछती है..
" कौन है मां?"
जैसे ही वह दोनों धारणा की आवाज सुनते हैं रोते५ हुए अंदर भाग जाते हैं और उसके पैरों में गिर जाते हैं। वह दोनों रोते रोते कहते हैं...
" उसकी कोई गलती नहीं थी मैडम जी ! वह बेगुनाह थी। उसने कुछ नहीं किया था। हम बूढ़ों के लिए उसने अपनी जान दे दी। हमारी बेटी सोना थी।"
"उसने कभी कोई गलत काम नहीं किया ।अपने परिवार को चलाने के लिए दिन रात मेहनत करती थी। लेकिन ईमानदारी से ।कभी गलत रास्ते पर नहीं चली हमारी बेटी। लेकिन उन जालिमों ने उसे उस हद तक तोड़ दिया कि उसने खुद की जान लेना ही ठीक समझा।"
यह दोनों श्रुति के मां-बाप थे ।धारणा उन्हें अपने पांव में से उठाकर सोफे पर बैठाती है और पूछती है ..
"अंकल आंटी मुझे बहुत दुख है श्रुति की मौत का, और मैं आपसे माफी भी मांगना चाहती हूं। कि मैं उसे नहीं बचा पाई।"
"नहीं बेटा आप माफी मत मांगो गलती हम दोनों की है। अगर हम दोनों थोड़े सतर्क रहे होते। तो आज यह दिन ना देखना पड़ता।"
"क्या मतलब है आपका ??क्या कोई ऐसी बात है जो मुझे नहीं पता है ??और मुझे पता होनी चाहिए!"
"हां बेटा तुमने शायद या नहीं दिया आज कोर्ट में हम दोनों नहीं थे।"
"हां मैंने नोटिस किया था। मैं श्रुति से पूछने भी वाली थी। लेकिन तब तक जज साहब आ गए और हमें केस शुरू करना पड़ा ।बाद में श्रुती ने मुझे कुछ पूछने का या कहने का मौका ही नहीं दिया।"
"इसलिए बेटा क्योंकि हम दोनों को उन चारों के गुंडों ने किडनैप कर लिया था और श्रुति को धमकी दी थी कि अगर उसने वैसा नहीं किया जाता वह वकील कहता है तो वह हमें मार देंगे।वह भी तो किसी को कुछ बोल भी नहीं पाई वह हमारी बच्ची ने हमारी जान बचाने के लिए अपनी जान दे दी।हमारी बद्दुआ है उन चारों को वह चारों भी चैन से नहीं जी पाएंगे इस दुनिया की अदालत ने उन्हें बरी किया है ना लेकिन वह भगवान की अदालत उनका इंसाफ करेगी जरूर करेगी। यह बूढ़े मां बाप के दिल से निकली हुई हाय है ।"
कहकर वह दोनों फिर से रोने लग जाते हैं और वहां से चले जाते हैं।
अब देखते हैं अगले भाग में क्या सच में उन चारों का कोई इंसाफ कर पाता है?? या वह फिर से मजे की जिंदगी जीने लग जाते हैं।
सभी प्यारे रीडर्स जो मेरी रचना को अपना अपना समय और प्यार दे रहे हैं को दिल से थैंक्यू ।आगे भी मेरे साथ बने रहिए ।मेरी स्टोरी आप सबको निराश नहीं करेगी और अपनी प्यारी प्यारी समीक्षाएं अवश्य दें।थैंक यू