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धारणा और केस

4 मई 2023

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अभी तक हमने अपनी कहानी में देखा कि एक आदमी ने सौम्या नाम की लड़की के साथ जबरदस्ती करके बेरहमी से उसका कत्ल कर दिया। उसकी बातों से ऐसा लग रहा था कि वह लड़की कोई रिपोर्टर थी और उसने उस आदमी के खिलाफ कुछ पता था। जो उस आदमी के लिए नुकसानदेह हो सकता था ।इसलिए उसने उस लड़की के साथ जानवरों जैसा सलूक किया।अभी तक हमने अपनी कहानी में देखा कि एक आदमी ने सौम्या नाम की लड़की के साथ जबरदस्ती करके बेरहमी से उसका कत्ल कर दिया। उसकी बातों से ऐसा लग रहा था कि वह लड़की कोई रिपोर्टर थी और उसने उस आदमी के खिलाफ कुछ पता था। जो उस आदमी के लिए नुकसानदेह हो सकता था ।इसलिए उसने उस लड़की के साथ जानवरों जैसा सलूक किया।

पर आदमी बुरे काम करके कितना भी सोच ले कि वह बच जाएगा ।एक ना एक दिन उसे अपने सारे कर्मों का हिसाब देना पड़ता है। अब हम अपनी कहानी में आगे देखेंगे कि इस हैवान को उसके किए की सजा कब और कौन देता है?

एक साल बाद...

एक बहुत ही सुंदर घर। जो ना तो बहुत ज्यादा बड़ा था और ना छोटा उस घर में एक लड़की अपने कमरे में सोई हुई थी। तभी उस कमरे में एक महिला की आवाज आती है...

" धारणा ! धारणा बेटा उठ जाओ ! देखो काफी टाइम हो गया है ।तुम्हें लेट हो जाएगा जाने में। फिर तुम उठकर मुझे ही डालोगी की मां टाइम से क्यों नहीं उठाया??"

अपनी मां की आवाज सुनकर धारणा धीरे-धीरे अपनी आंखे खोलती है। सुंदर सा चेहरा, बड़ी-बड़ी आंखें जिनके ऊपर घनी पलकें थी और गुलाबी होठ ,कंधे तक आते हुए घुंघराले बाल। धारणा दिखने में बहुत ही प्यारी और सुंदर लगती थी।

धारणा... गुड मॉर्निंग मां!! थैंक्यू मुझे टाइम से उठाने के लिए ।मुझे तो पता ही नहीं चला कब घड़ी का अलार्म बंद करके फिर से सो गई ।अच्छा मैं जल्दी से तैयार हो जाती हूं वरना लेट हो जाऊंगी।"

धारणा की मां सुनीता जी वहां से मुस्कुराते हुए रसोई में चली जाती हैं और धारणा के लिए नाश्ता बनाने लगती हैं। धारणा के पिता सुरेश जी एक बिजनेसमैन थे ।उनके घर में किसी भी चीज की कमी नहीं थी ।लेकिन उन्होंने अपनी बेटी के ऊपर कभी भी इस बात का प्रेशर नहीं डाला कि उसे उनका बिजनेस ही ज्वाइन करना है ।उन्होंने धारणा को उसका कैरियर चुनने की पूरी आजादी दी थी।

सुरेश जी पहले ही ऑफिस जा चुके थे ।थोड़ी देर में धारणा अपने रूम से तैयार होकर आती है। वाइट कलर की साड़ी और उसके ऊपर लॉयर वाला ब्लैक कोट।

बालों का उसने एक जोड़ा बनाया हुआ था।

इस प्रोफेशनल लुक में भी धारणा बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसकी मां सुनीता जी धारणा को देखकर कहती हैं...

"बेटा मुझे कभी-कभी तेरी बहुत टेंशन होती है  आखिर तूने इतना रिस्की प्रोफेशन क्यों चुना ??तुझे तो पता है कि जिन लोगों  को तू सजा दिलाती है। वह तुझ से दुश्मनी पाल लेते हैं।"

"अपनी  मां की बात मान बेटा और यह सब छोड़ कर अपने पापा के साथ बिजनेस जॉइन कर ले ।वह भी अकेले कब तक सब कुछ संभाल लेंगे??"

धारणा..

मां आपको तो पता ही है कि मैं लॉयर क्यों बनी हूं?? बचपन से ही जब भी किसी लड़की के साथ अन्याय होता हुआ देखती थी। तो मन में आता था की उन जालिमों को उनके किए की सजा दूं ।तब इतनी समझ नहीं थी लेकिन अब मैं बड़ी हो चुकी हूं । मैं चाहती हूं कि जितनी भी लड़कियां जुल्म का शिकार होती हैं ।उन्हें इंसाफ दिलाऊं!

और एक और कारण है मां! उन्हें तो मैं नहीं बचा पाई ना ही कोई इंसाफ दिला पाई। लेकिन अब मैंने खुद से वादा किया है कि किसी भी लड़की के साथ अन्याय नहीं होने दूंगी।"

सुनीता जी धारणा के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहते हैं ...

"भगवान तेरी रक्षा करें मेरी बच्ची !मुझे अपनी बच्ची पर पूरा भरोसा है। पर क्या करूं इस समाज से डर लगता है। आजकल तो यह भी पता नहीं चलता कि अच्छाई का मुखौटा लगाकर कितने भेड़िए इस समाज में घूम रहे हैं?? जो जाने कब कहां किस लड़की को अपना शिकार बना दें??"

"जो सामने से बुरे हैं उनसे इतना डर नहीं लगता जितना उनसे लगता है जो अपनी शराफत के पीछे अपनी हैवानियत को छुपा कर रखते हैं।"

धारणा..." मां इतनी चिंता क्यों करती हैं आप ??आपकी बेटी भी इतनी कमजोर नहीं है। आपने बचपन से ही मुझे इस लायक बनाया है कि मैं अपनी रक्षा कर सकूं और अब मैं खुद को इस लायक बनाना चाहती हूं कि दूसरी लड़कियों को भी इंसाफ दिला सकूं।"

धारणा ..."मां आज मेरा एक बहुत ही जरूरी केस है। इसलिए मुझे जल्दी कोर्ट जाना है ।मैं चलती हूं।"

कहकर वहां से कोर्ट के लिए निकल जाती है ।अब देखते हैं की धारणा अपना केस जीत पाती है या नहीं?


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रचनाएँ
ये प्रथा आख़िर कब तक
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