हर इक इम्तिहा से गुजरना ही होगा
चल जिंदगी तुझको चलना ही होगा
रो-रो के काटें , खुशी से बिताएं
है जंग जीवन,तो लड़ना ही होगा
बहुत दूर साहिल, बड़ी तेज धारा
संभलके भंवर से निकलना ही होगा
शरद कब तलक गुनगुनी यूँ रहेगी
धरा को कुहासे से पटना ही होगा
मधुमास मधुरिम सा महके धरा पर
तो पतझड़ से फिर-फिर गुजरना ही होगा
ये 'हालात' मौसम से, बनते बिगड़ते
डर छोड़ डट आगे बढ़ना ही होगा
बिखरना नहीं अब निखरना है 'यारा'
कनक सा अगन में तो तपना होगा ।।