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“चतुष्पदी”सुना

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सादर नमन साहित्य के महान सपूत गोपाल दास ‘नीरज’ जी को। ॐ शांति। “चतुष्पदी”सुना था कल की नीरज नहीं रहे। अजी साहित्य के धीरज नहीं रहे। गोपाल कभी छोड़ते क्या दास को- रस छंद गीत के हीरज नहीं रहे॥महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

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