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बेड़ी मेरी खोल दे मां

15 अक्टूबर 2022
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दुख की बेड़ी से  बंधा हूं,किस  प्रकार मुस्कुराऊं मैं चलने को अब पांव नहीं बढ़ता कैसे दर पे आऊं मैं।। तनिक देर  ही  सही  खोल  दे  मेरे  दुख का जंजीर तेरे दर पर आकर तुझे अपना कुछ दुखड़ा सुनाऊं मैं।। भला

सावन

15 अक्टूबर 2022
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कब आएगी फिर वो सावन जब होता मन मनभावन।। बारिश की बूंद धरा को छुती कोयल कू कू कर गीत जब गाती।। चारों ओर पानी की धारा बहती बच्चे की कश्ती संग ले बहती।। गांव के बगीचे में झूला मिलता कवि को लिखने का शीर्ष

समय विषम है मगर हार मानता नहीं

15 अक्टूबर 2022
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समय  विषम  है  मगर  हार  मानता  नहीं, छोड़ दो यह सोचना कुछ भी मुश्किल नहीं, समुंदर में नौका लेकर उतरो,लहरों से डरो नहीं, कोशिश करता जा रहा खतरों से घबराता नहीं समय  विषम  है  मगर  हार  मानता  नहीं। कठि

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