कब आएगी फिर वो सावन
जब होता मन मनभावन।।
बारिश की बूंद धरा को छुती
कोयल कू कू कर गीत जब गाती।।
चारों ओर पानी की धारा बहती
बच्चे की कश्ती संग ले बहती।।
गांव के बगीचे में झूला मिलता
कवि को लिखने का शीर्षक मिलता।।
नीले अम्बर पर एक नया अंधेरा छाता
बादल की हर बूंद से मन भाता।।
सूखे पत्ती में हरियाली आती
चिड़िया पेड़ पर घोसले बनाती।।
बच्चे की शुरू होती मस्ती
छाता हाट में मिलती सस्ती।।
कीचड़ जब बन जाती राह
उस सावन की हो रही अब चाह