shabd-logo

चित्त की पांच अवस्थाएं

1 मार्च 2023

16 बार देखा गया 16

हमारे स्वयंम चित्त के रुपमे होने की निम्न अवस्थाएं है।

१) पहली हम में चित्त स्पष्ट न होने कारण विचारो का कुतर्क जाल पैदा होने की स्थित हैं ।इसमें हम ही चित्त के रूपमे गोला कर घूम रहे है । शरीर की मृत्यु के समय इसी अवस्था से हम अगला जीवन चुनते है ।यही से दर्शन की शुरुवात हो जाती है ।

२) दूसरी चित्त की शून्य होने की स्थिति है ।इसमें हमे शून्यता का बोध होता हैं । ये शून्यता शरीर की शून्यता की स्थिति है । ये मानसिक शून्यता है । ये हमे वापस पहली स्थिति में ले आती है ।पहली अवस्था से दूसरी अवस्था में ही हम शरीर बदलते हैं।

३) तिसरी चित्त के चेतना बनकर ज्योत के रूपमे

जाल जाने की अवस्था है ।यही ध्यान की प्रगाढ़ 

अवस्था है अर्थात ध्यान दूसरी अवस्था से तिसरी अवस्था तक ही जाता हैं। इस अर्थ में ध्यान सभी विचारो को शून्य करने के कारण ही संभव हो पाता है ।

४) चौथी चित्त के देह के आकर में खिलकर चैतन्य हो जाने की अवस्था है। यही देह में हमारी और चित्त की अलग हो जाने की अवस्था है। यही से बोध की प्रगाढ़ शुरुवात होती है । सभी दर्शन धीरे धीरे इस प्रगाढ़ बोध में स्पष्ट होने लगते है ।

५)  पांचवी चित्त की शरीर से बाहर की और ब्रहम के रुपमे खिलने की अवस्था है । इस अवस्था से ही हमे जगत का वास्तविक बोध होता है ।

अंत में आती है चित्त के खो जाने की अवस्था और चित्त के खोने के कारण सब दृश्य और अदृश्य खो जाते है । इस अवस्था मे "मैं" पूरी तरह मिट जाता है और शुद्ध बोध रह जाता है । इसे ही परिपूर्ण बोध कहा जाता है । ये एक अलग ही तरह का "मैं" हैं जिसमे होने का बोध ही नही है । इसका कारण चित्त का न होना है अर्थात चित्त का "मैं" अहंकार है और ये "मै" हमारी अपनी ही बुद्धि है ।

बिबेक जोशी की अन्य किताबें

1

जीवन और मेरी खोज

28 फरवरी 2023
1
0
0

हमारा जीवन स्वयंम में त्रिआयामिक आकाश तत्व का एक अंश है । इसके स्वयंम चार द्विआयाम है ।पहला द्विआयाम शून्यता का द्विआयाम हैं । यह जीवन को पृथ्वी तत्व से जोड़ता है ।दूसरा द्विआयाम अंधकार का द्विआयाम है

2

हम और हमारा देवत्व

1 मार्च 2023
0
0
0

देवी देवता कोई विशेष नहीं है बल्कि हम ही हैं । हमें जीतने तत्वों का बोध होता है हम इतने तत्वों से बने देवी देवता हो जाते हैं । शरीर की मृत्यु पर पृथ्वी जल अग्नि और वायु तत्व तिरोहित हो जाते हैं और हम

3

पदार्थों का देवत्व और हमारी नासमझी

1 मार्च 2023
0
0
0

मनुष्य देह ही जागने का एकमात्र माध्यम है । क्योंकि जीवन में सहेजने की शक्ति है इसलिए जहां जहां भी पदार्थ सहेजे जाएंगे वहां जीवन होगा । जो जीवन जितना ज्यादा पदार्थ को सहेजेगा वह जीवन उतना गहरी तंद्रा म

4

चित्त की पांच अवस्थाएं

1 मार्च 2023
0
0
0

हमारे स्वयंम चित्त के रुपमे होने की निम्न अवस्थाएं है। १) पहली हम में चित्त स्पष्ट न होने कारण विचारो का कुतर्क जाल पैदा होने की स्थित हैं ।इसमें हम ही चित्त के रूपमे गोला कर घूम रहे है । शरीर की मृत

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए