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पदार्थों का देवत्व और हमारी नासमझी

1 मार्च 2023

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मनुष्य देह ही जागने का एकमात्र माध्यम है । क्योंकि जीवन में सहेजने की शक्ति है इसलिए जहां जहां भी पदार्थ सहेजे जाएंगे वहां जीवन होगा । जो जीवन जितना ज्यादा पदार्थ को सहेजेगा वह जीवन उतना गहरी तंद्रा में सोया हुआ होगा । उसके पूरी तरह जागने पर पदार्थ धीरे-धीरे उससे अलग होने लगेगा और अंततः पदार्थ की संरचना टूट जाएगी । इसलिए कण-कण में भी हमारे जैसा ही जीवन समाया हुआ है । जैसे जैसे वह जीवन सोता है वैसे वैसे उसके आसपास पदार्थ बढ़ता जाता है और जैसे-जैसे वह जागता जाता है उसका पदार्थ टूटता जाता है । जो जीवन जिन जिन तत्वों को सहेजता है वह उतने ही तत्वों से बना देवी देवता हो जाता है । इसलिए आपके आसपास के पदार्थों में सोए हुए जीवन जितना जागते हैं उतना अपने जागने का प्रभाव आप पर छोड़ते हैं और जितना सोते हैं उतना सोने का प्रभाव भी आप पर छोड़ते हैं । इस अर्थ में देवी देवता अगर स्वयं जागते हैं तो हमको भी जगाते हैं और अगर स्वयं सोते हैं तो हमको भी सुलाते है । जब किसी पदार्थ का जीवन जागता है तो वह उसके आसपास अपना प्रभाव छोड़ता है और जो उस प्रभाव को ग्रहण कर पाता है उससे वह प्रकट हो जाता है । यही चमत्कार होता है । ऐसा उस जीवन का बोध हमे जागने के लिए करता है। ग्रहण करने वाले को जब पता ही नहीं होता कि कौन उसे यह दे रहा है तो वही उसे विभिन्न नामों से गुरु कहने लगता है । जबकि यह शक्ति स्वयं हमारे जीवन की ही बोध की शक्ति है । प्रभाव तो हमे हमारे बोध को जगाने के लिए आता है पर हम प्रभाव में पड़कर और सो जाते हैं ।

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1 मार्च 2023
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देवी देवता कोई विशेष नहीं है बल्कि हम ही हैं । हमें जीतने तत्वों का बोध होता है हम इतने तत्वों से बने देवी देवता हो जाते हैं । शरीर की मृत्यु पर पृथ्वी जल अग्नि और वायु तत्व तिरोहित हो जाते हैं और हम

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1 मार्च 2023
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