एक बार फिर नया साल शरू होने को आया है, और पुराना साल खत्म होने को। जैसे जैसे साल बीतता गया वैसे वैसे त्योहार आते गए और जाते गये। होली, दिवाली, राखी आदि यह सब त्योहार आये और हर एक इंसान ने इसे बढ़ी ख
फुटपाथ पर बैठा दस वर्ष का बच्चा, बड़े कौतुहल से किसी की प्रतीक्षा कर रहा है घडी नहीं है उसके पास, फिर भी एक एक क्षण गिण रहा है आशा भरे नयनो से, चारो और देख रहा है अपना मन पसंद उपहार मिलने की उम्मीद में, दिन भर से यही संता की बाट जो रहा है किसी ने बताया उसको, की आज संता सबको मन पसंद उपहार दे रहा ह