फुटपाथ पर बैठा दस वर्ष का बच्चा,
बड़े कौतुहल से किसी की प्रतीक्षा कर रहा है
घडी नहीं है उसके पास,
फिर भी एक एक क्षण गिण रहा है
आशा भरे नयनो से,
चारो और देख रहा है
अपना मन पसंद उपहार मिलने की उम्मीद में,
दिन भर से यही संता की बाट जो रहा है
किसी ने बताया उसको,
की आज संता सबको मन पसंद उपहार दे रहा है
इसलिए अनगिनत क्षणों की गिनती के पश्चात भी,
वो आगे के सारे क्षण गिण रहा है
दिन का आखिरी पहर,
और संता कही दिख नहीं रहा है
धीरे धीरे उसका,
आशान्वित मन उदासी में बदल रहा है
इस बार भी ना आया संता,
और वो अब सर्दी से बचने की व्यवस्था कर रहा है।
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ ॥