चंदा मामू! चंदा मामू ! इतने क्यों हो मुझसे दूर आसमान में आते हो, ना मामी को लाते हो । आप तो करते सैर हैं, मुझसे क्या कोई बैर है। आप तो खेलो छुपन छुपाई , मैं क्यों करता रहूँ पढ़ाई । छुप- छुप कर तुम आते हो, सबका मन बहलाते हो। कल मेरे घर आ जाओ, साथ मुझे भी ले जाओ । - - - - सुनीता कुमारी यादव