ये बच्चे भी ना,एक दवा की पुड़िया हैं। रोते को हंसाते, हँसते को खिझाते । और भोलेपन से, सबको ही रिझाते। ये तो कितने बढ़िया है,ये बच्चे भी ना..... सब दर्द भुलाते ,सारे गम भुलाते। मैं इन्हें जानते, मैं इन्हें समझते। ये तो सबकी नैया,ये बच्चे भी ना..... तन इनका सुंदर ,मन इनका सुंदर । अपनी दुनियां के ,ये तो हैं सिकन्दर। ये तो देश के पहिया हैं ।।ये बच्चे भी ना.... न मंदिर मानें ,न मस्जिद माने । ये मजहब की, दीवारें तोड़े । ये सच्चे देश के नायक हैं।।ये बच्चे भी ना..... सुनीता कुमारी यादव