सुनो मैं सुनाऊँ गजब की में बतियाँ, गजब की ये बतियाँ सितम की में बतियाँ । बिन औलाद भटके माँ मन्दिर और मस्जिद , वो माँगे दुआए और मांगे मुरादे, बो अर्जी लगाये और दर - दर पे भटके, मिलेगा मेरे जीवन का तरैया। सुनो में - - - - जब बनूँगी मै मैया , मिलेगा कन्हैया, बो आशा लगाती बो सपने सजाती, मिलेगा मेरे जीवन का खिबैया । सुनो मै - - - - कलेजे लगाकर के बेटा लिटाये , दिन - रात उसको सिखाये पढ़ाये, हर शब्द की रट, हर चीज की हठ, पूरी करे जागी फिरती है मैया । सुनो मै - - - - माँ दुत्कार देती, माँ पुचकार लेती, छिपाये कलेजे से सोती न जगती, किसी की न लग जाये तुझको बलैया । सुनो मै - - - - बही माता जब बृद्धावस्था में डोले, बो चाहकर भी अपनी जुबाँ को न खोले , बो रो - रो के आँसू के घूँटो को पीले, मेरे लाल सुनले ये दुख की हैं घडियाँ । सुनो मै - - - - जब अटके माता की मँझधार नैया, दीखे नहीं कोई इसका खिवैया, काटे न करती है दुख की ये रतियाँ, किसको बनाऊँ बुढ़ापे की लठिया । सुनो मै - - - - खेत बाँटे जाते हैं, घर बाँटे जाते है, संग में माँ और बाप बाँटे जाते हैं, कैसा प्रकृति का नियम है ये भैया । सुनो मै - - - - सुनीता कुमारी यादव