shabd-logo

दर्द भरी हँसी

26 सितम्बर 2021

31 बार देखा गया 31


कौन कहता यारों

जीना आसान है ।

हर दिन मैं रोता हूँ,

असीम दर्द को छिपाकर

बनावटी हँसी मुस्कुराता हूँ ।

फिर नई राहें में

बिन पंख फड़फड़ाता हूँ ।

हौसला तो बुलंद है,

पर बेसुरी राजनीति से

आँखों से चैन उड़ाता हूँ ।

प्यार-मोहब्बत के सहारे

जिंदगी गुजरता है ।

स्वरचित- सुजित सुमन

              (युवा लेखक)


Sujeet Kumar Yadav

Sujeet Kumar Yadav

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद 👏👏

27 सितम्बर 2021

ममता

ममता

सुंदर रचना

26 सितम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

दर्द भरी कविता

26 सितम्बर 2021

1
रचनाएँ
प्रेयसी
0.0
कविता संग्रह

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए