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मजदूरी “ बापू ! बापू ! क्या आज भी आप काम पर नहीं जाएंगे ? क्या हम आज फिर से भूखे ही रहेंगे ?” नन्ही सोना ने मचलते हुये अपने पिता नन्हकू से प्रश्न किया । नन्हकू दिहाड़ी मजदूर था । अभी भी अपनी टूट
एकाकीकौशल्या जी को गुजरे अभी दस दिन भी न हुए थे कि उनके तीनों बच्चों मे उनकी चीजों को लेकर झगड़ा आरंभ हो गया। जैसा कि अधिकतर घरों मे होता है कि घर के स्वामी या स्वामिनी का महाप्रयाण हुआ नहीं कि संपत्ति
लघुकथा - गले की फाँस" सुनते हो ! ऑफिस जाने से पहले तीन हजार रुपये ए टी एम से निकाल कर दे जाना!" रसोईघर से लगभग चिल्लाते हुए सुरेखा ने अपने पति नीरज से कहा ।"क्यों?" चौंकते हुए नीरज ने पूछा ।"अभी परसों