रहस्य और रोमांच से भरी एक खूबसूरत यात्रा जो आपको कल्पना के अंतहीन आयामों में ले उड़ेगी।
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सुनसान सड़क थी, सूखी झाड़ियां ही सड़क के साथ-साथ इक्का-दुक्का दिखती थी, इसके अलावा कोई पेड़ नजर में नही आता था। सड़क पर अधिकतर रेत ही था। हवा भी रेत को चारो
समीर दौड़ता हुआ इमारत के पीछे गया। वहाँ बहुत सारा मलबा बिखरा पड़ा हुआ था। आखिरकार वो उस जगह पहुंचा, समंदर तट पर। उसके सामने लहलहाता अथाह समंदर था, समंदर, पर वैसा नही जैसा वो सोच रहा था बल
तीन गाड़ियां, एक ट्रक और 6 घुड़सवार थे। वों कुल मिला कर 25 से 30 लोग होंगे। रेत की धूल अब धीरे-धीरे नीचे बैठ रही थी। माहौल में शांति थी। हमारे तीनों पात्र जो एक छोटे से ट्रक के कैबि
समीर ने दोनों बहनों को देखा। दोनों बहनें ऐसे नजरें चुरा रहीं थीं जैसे किसी ने उधार के पैसे जान की कीमत पर वापिस मांग लिए हों। "देखो, मेरी बात सुनो..." जेनिलिया कुछ समझाने की कोशिश करती है। "ओह! तो मत
(अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे कैप्टन उन तीनों को अपने साथ आने को राजी कर लेता है। वों उत्तर की और बढ़ रहे होते हैं पर तभी उनके रास्ते में एक अजीब और खतरनाक बाधा आ पड़ती है जो उन्हें रुकने पर मजबूर कर देती है
(पिछले भाग में अपने पढ़ा कि कैसे समीर उन मुर्दों से बहादुरी से लड़ता हुआ और जैनी की जान बचाते-बचाते खुद लावा से भरी दरार में गिर जाता है। अब आगे।) जेनिलिया और जैनी तो जड़ हो गए थे। पर कैप्टन ने वक़्त की न
(अभी तक आपने पढ़ा कि समीर कैप्टन के कुछ राज पता लगाता है जो समीर और उसकी माँ से भी जुड़े हुए लगते हैं। समीर उन्हें जेनिलिया व जैनी के समक्ष रखता है। उन्हें एहसास होता है कि जैसे कैप्टन समय के चक्कर को म