समीर दौड़ता हुआ इमारत के पीछे गया। वहाँ बहुत सारा मलबा बिखरा पड़ा हुआ था। आखिरकार वो उस जगह पहुंचा, समंदर तट पर। उसके सामने लहलहाता अथाह समंदर था, समंदर, पर वैसा नही जैसा वो सोच रहा था बल्कि समंदर जो कि सिर्फ रेत से भरा हुआ था। दूर-दूर तक हवा में नाचती रेत मानो उसका ही इंतजार कर रही थी। नक्शे के हिसाब से उसे बंगाल की खाड़ी के तट पर होना चाहिए था। ये जगह उतरी सरकार यानी ओडिसा-आंध्रप्रदेश तट हुआ करती था। पर अब यहाँ रेत और हवा की सनसनाहट के अलावा कुछ भी नही था। बस रेत में हल्का गीलापन था। उसे निराशा हुई। वह पीछे मुड़ा। और वापिस सड़क की तरफ लौटा।
सड़क पर एक और सरप्राइज उसका इंतजार कर रहा था। उसकी कार्ट और सामान गायब था। आसपास ऊंची झाड़ियां थीं। उसने कमर से बन्दुक निकाली और आंखों से सामने के दृश्य का जायजा लेते हुए ऊंची आवाज़ में बोला "तुम जो कोई भी हो और जहाँ भी छुपे हो, मैं पहले ही बता देता हूँ, मेरा मूड बहुत खराब है और तुमने मेरा बचाखुचा सामान भी जब्त कर लिया है, इससे मेरा मूड और खराब हो गया है। तो ऐसा करते हैं कि तुम मेरा सामान मुझे वापिस करो और मैं तुम्हे सही सलामत जाने देता हूँ, बोलो कैसा रहेगा?" कहीँ से कोई जवाब नही आता। समीर फिर से बोला "देखो मैं एक ही दिन में एक से ज्यादा हत्या नही करना चाहता और तुम मुझे मजबूर मत करो।" फिर से कोई जवाब नही आता। समीर ने सिर हिलाते हुए गन कमर में वापिस डाल ली। अपना मास्क, चश्मा और हैट सेट किया और सड़क पर उस तरफ देखा जहाँ से वो आया था और फिर उसकी विपरीत दिशा को देखा, और विपरीत दिशा में कदम बढ़ा दिए। वो चलते-चलते खुद से बातें कर रहा था "इससे बुरा भला और क्या हो सकता है? या शायद हो सकता है, (लम्बी सांस ले कर) अभी तो तड़प-तड़प के मरना भी बाकी है"।
(ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से उसके नीचे दबे करोड़ों साल पहले के खतरनाक वायरस भी समंदर में घुल गए, और लोगों को तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त कर दिया। लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती गयी वों सब वायरस भी खत्म हो गए, पर एक वायरस, जॉम्बी वायरस, वो ज़िंदा रहा। ये वायरस भी वायुमण्डल और बचेखुचे पानी से तो अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण खत्म हो गया पर जो इंसान उस वक़्त इससे ग्रस्त थे ये उनके DNA में जिंदा रहा और उसके जरिये दूसरे लोगों के अंदर प्रवेश करने लगा, जैसे काटने के जरिये। ये खतरनाक बीमारी इंसान को आदमखोर बना देती है।)
थोड़ी दूर चलने पर समीर को किसी के गुर्राने की आवाज़ आई। तभी सामने झाड़ियों में से एक आदमखोर उसकी तरफ दौड़ता चला आया। लेकिन समीर ने बंदूक से उसका भेजा उड़ा दिया और वो वहीं लाश बन कर गिर गया। तभी अचानक पीछे से दूसरे आदमखोर ने उस पे हमला किया और समीर के हाथ से बन्दुक गिर गयी। दूसरी बन्दुक निकालने का उसको ध्यान नही आया। वो जमीन पर गिर गया था। वो आदमखोर उसकी तरफ बढ़ रहा था और वो जमीन पर पीछे-पीछे खिसक रहा था। उस आदमखोर के पीछे दो और आ गये। अब समीर के शरीर में सिहरन पैदा हो गयी। वो जान गया था कि अब यें दानव उसे नोच डालेंगे और वो भी उनमें से एक बन जायेगा। वो गर्म सड़क पर खिसकता जा रहा था। और वों तीनों आदमखोर उस पर हमला करने वाले थे, समीर अब सड़क पर रुक गया था क्योंकि वो जान गया था कि भागने का मतलब नही अब कुछ भी। उसने आंखे बंद कर ली और खुद के नुच जाने का इंतजार करने लगा लेकिन अगले ही पल एक गाड़ी की आवाज आती है और साथ ही गोलियों की आवाज़ से माहौल गूंज उठता है। एक के बाद एक तीन फायर होते हैं। समीर आंख खोल कर देखता है तो पाता है कि तीनों आदमखोर ढेर हो चुके हैं। अपने पीछे नजर डालने पर वो देखता है कि एक 25 से 27 साल की लड़की हाथ में दुनाली लिए खड़ी है और उसके साथ लगभग 13-14 साल की एक छोटी लड़की भी हाथ में पिस्तौल थामे तैनात है। उनके पास एक ट्रक था। ट्रक मतलब एक फॉर व्हीलर जैसा छोटा ट्रक जिसमें ड्राइवर के पास 3 से 4 लोगों के बैठने की जगह होती है और उसके पीछे लम्बा सा सामना रखने का ऊपर से खुला कैरियर होता है।
समीर उठा और उन लोगों की तरफ देखता हुआ बोला
"शुक्रिया, जान बचाने के लिए"।
"हम फ्री में कुछ नही करते" छोटी लड़की बोली।
समीर उन्हें देखता रहा और उनके आगे बोलने का इंतजार करता रहा।
"जान बचाने के बदले में हमें कुछ देदो या फिर उन मुर्दों के साथ यहीं पड़े रहो, इन्ही की जैसी हालात में" बड़ी लड़की समीर की तरफ दुनाली तानते हुए बोली।
समीर ने उस कैरियर पर नजर डाली। उसने देखा उस कैरियर को काले रंग की प्लास्टिक चद्दर से ढंका गया था। उसके अंदर काफी सामान लग रहा था।
"बहुत लोगों की जान बचा चुके हो अब तक" समीर ने कैरियर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
"जो लोग बदले में कुछ नही देते उनको मारकर उनका सारा सामान भी तो हड़प लेते हैं" बच्ची बोली।
"तो मुझे मरने देते या मार देते, उसके बाद सब तुम्हारा ही था, बचाया क्यों?" समीर ने पूछा।
"देखो जब बिना खून खराबे के काम हो जाता है तो क्यों बेकार में लोगों को मारना, और हम हत्यारे नही हैं। हम बस ज़िंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं। पर अगर तुमने कीमत नही चुकाई तो तुम बड़ी कीमत चुकाओगे" बड़ी लड़की बोली और मुस्कुरा दी।
"देखो अगर हालात ठीक ठाक होते तो मैं सच में तुम्हारी इस कातिल मुसकुराहट पर मर जाता।" समीर बोला।
"वाह, मुस्कुराहट पर ना सही पर तुम अभी इसी सड़क पर मर सकते हो। (फिर चिल्लाकर बोली) घुटनों पर बैठो, अभी, जल्दी, हाथ सिर के पीछे" बड़ी लड़की बोली।
समीर बिना देर किए सड़क पर बैठ गया। उसका हैट और चश्मा तो पहले ही गिर गया था और अब उसने मास्क भी हटा दिया। जहां वह बैठा था वहीं मरे हुए आदमखोरों के बीच उसकी गन पड़ी थी और एक गन उसकी कमर में ओवर कोट में थी। उन दोनों लड़कियों ने उसे घेर रखा था।
"क्या-क्या है तुम्हारे पास दिखाओ चलो" छोटी लड़की गुरराई।
समीर अपना ओवरकोट उतारने लगा पर एक दम से उसने नीचे पड़ी गन उठाई और उस बड़ी लड़की को बैठे-बैठे धक्का मारा। वो नीचे गिर गयी। इससे पहले वो सम्भलती समीर ने उसे पीछे से पकड़ उसके सिर पर गन तान दी। छोटी लड़की अवाक रह गयी।
"(समीर हंसते हुए) अब तुम भी इस गन को नीचे रख दो बच्ची, या अपनी माँ की शहादत पर सलामी फायर देना चाहती हो"।
"वो मेरी बहन है घचक्कर" बड़ी लड़की दबी आवाज में बोली, क्योंकि उसका गला समीर ने कस रखा था।
बच्ची ने डरते हुए गन नीचे रख दी।
"क्या चाहते हो?" बड़ी लड़की ने पूछा।
थोड़ी देर की चुप्पी रही। फिर समीर ने उस लड़की को उसकी बहन की तरफ धकेल दिया और दोनों की तरफ गन तान दी।
"वाह, दो लुटेरी बहनें, एक छोटा धमाका और (बड़ी लड़की को देखते हुए) दूसरी बड़ा बम, कमाल है" समीर ने मज़ाक किया।
फिर उसने अपनी गन हटा ली। दोनों लड़कियां हैरान हो गईं। दोनों एक दूसरे को देखने लगीं।
"हिसाब बराबर, तुमने मेरी जान बचाई और अब मैंने तुम्हारी बचाई, मतलब बख्श दी, एक ही बात है।" समीर ने कहा।
" नही, तुम हमे मरने के किये छोड़ दोगे, हमारा ट्रक ले जाओगे, ये हिसाब बराबर नही हुआ" छोटी लड़की बोली।
"सुझाव के लिए शुक्रगुज़ार हुँ पर मैं ऐसा कुछ नही करूँगा, मुझे तुम्हारा ट्रक या पेट्रोल नही चाहिए" समीर ने जवाब दिया।
दोनों बहनें एक दूसरे को देखती हैं।
"तो अब तुम अपने रास्ते और हम अपने" बड़ी लड़की ने कहा और दोनों ट्रक की तरफ बढ़ने लगीं। पर समीर ने फिर से गन तान दी।
"अब क्या?" बड़ी लड़की ने हैरानी से पूछा।
"बात इतनी भी सीधी नही है मेरी जान, तुम मुझे आगे तक छोडोगी, बस, अब ये मत कहना कि पेट्रोल नही है, उस कैरियर से गैसोलीन की तेज महक आ रही है, तुम्हारे पास काफी तेल है, देखो प्लीज़, मेरी मदद करो, प्लीज़।" समीर बोला।
"तुम हमें गोली मार कर या ऐसे ही बंदूक के दम पर डरा कर हमारा ट्रक ले जा सकते थे, पर..." बड़ी लड़की बोली।
"पर मैंने ऐसा नही किया, क्योंकि मेरा भी एक उसूल है, जब बातचीत से मसला हल हो सकता है तो फालतू में खून-खराबा क्यों करना। और वैसे भी दुनिया में खूबसूरत चीज़ें बेहद कम बची हैं और मैं उन्हें और कम नही करना चाहता, मैं खूबसूरती का दुश्मन नही हुँ।" समीर मुस्कुराते हुए बोला।
दोनों लड़कियां मुस्कुराते हुए एक दूसरे की तरफ़ देखती हैं। बड़ी लड़की ड्राइवर सीट पर बैठ जाती है, छोटी पैसेंजर सीट पर और समीर उसके साथ खिड़की के पास बैठ जाता है। गाड़ी पश्चिम की और चल पड़ती है।
"मैं जेनिलिया हूँ, और ये मेरी छोटी बहन जैनी है" बड़ी लड़की बोली।
"मैं समीर हूँ" समीर ने जवाब दिया।
"तुम उन हत्यारों में से हो?" जैनी ने पूछा।
"नही, मैं भी तुम्हारी तरह ही एक मुसाफिर हूँ जो ज़िंदा रहने की कोशिश कर रहा है, मेरा सामान चोरी हो गया है, इस लिए भटक रहा था" समीर बोला।
तभी एक दम से गाड़ी के ब्रेक लगते हैं। तीनों सामने देखते हैं और देखते ही तीनों के होश फाख्ता हो जाते हैं। सामने तीन गाड़ियां उन हत्यारे-लूटेरों की थी जो तेजी से उनकी तरफ बढ़ रही थी
"वापिस-वापिस-वापिस लो जल्दी" समीर चिल्लाया।
जेनिलिया ने तेजी से गाड़ी पीछे मोड़ दी। तीनों गाड़ियां बड़ी तेजी से पीछे आ रही थीं। उनकी गाड़ी भी रेतली सड़क पर तेजी से दौड़ती जा रही थी। समीर ने सामने देखा कि एक ट्रक सामने से आ रहा है और उसके ऊपर 5 लोग बन्दुक लिए बैठे हैं। अब जेनेलिया ने ट्रक बाईं और पथरीली जमीन पर मोड़ दिया। अब 3 गाड़ियां और एक बड़ा ट्रक उनका पीछा कर रहा था। सारा वातावरण धूल से भर गया। जेनेलिया ने पीछे हाथ करके पिस्तौल से फायर किया। पर उन लोगों ने जवाब में गोली नही चलाई।
"उनको शायद हमारा ट्रक और सामान भी चाहिए" जैनी डरते हुए बोली।
"उन्हें वही चाहिए, हम नहीं, और तुम गोली मत चलाओ जेनिलिया, अगर उन्होंने गोली चलाई तो पीछे रखा गैसोलीन फट सकता है" समीर बोला।
तभी सामने से 4-5 घुड़सवार आते दिखे। उनकी गाड़ी की रफ्तार रेत में पहले ही कम थी और अब और कम हो गयी। जेनिलिया ने गाड़ी रोक दी। वों घिर गए थे। हत्यारों की गाड़ियां और घोड़े आकर रुके। तीनों के दिल की धड़कन बढ़ने लगी।
क्या ये उनका अंत था?.... .जानिए अगले भाग में।
(अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया जरूर दें, इसका बहुत महत्व है मेरे लिए और आगे भी लिखने की प्रेरणा मिलती है)