समीर ने दोनों बहनों को देखा। दोनों बहनें ऐसे नजरें चुरा रहीं थीं जैसे किसी ने उधार के पैसे जान की कीमत पर वापिस मांग लिए हों।
"देखो, मेरी बात सुनो..." जेनिलिया कुछ समझाने की कोशिश करती है।
"ओह! तो मतलब तुम्हें पता है कि ये किसका है? वाह, जानते हो इसे क्या कहते हैं? (जोर देकर बोला) चोरी..(फिर थोड़ा सोचकर) नहीं ये तो डकैती है, धोखेबाज़ी है। तुमने मेरा सामान चुराया?" समीर बनावटी गुस्सा लिए बोला।
"तुम ज्यादा बोल रहे हो, हमने तुम्हारी जान भी तो बचाई है, कुछ तो शर्म लिहाज रखो खड़ूस कहीं के" जैनी ने मुह बिचकाते हुए कहा।
"इसे जान बचाना कहते हैं?, देखो चारों तरफ (दोनों हाथ खोल कर कहता है) देखो, सिर के ऊपर से गोलियां और गोले गुजरे हैं अभी-अभी और हमें बचाने वाला कहता है कि उसने गलती से हमें बचा लिया, वाह, और तुम इसे जान बचाना कहती हो। मैं अपने रास्ते जा रहा था तुम लोगों ने मेरा सामान चोरी किया, इसे जान बचाना नही कहते छोटा मुह बड़ी जुबान (जैनी को चिढाया), और याद है गोली मैं तुम्हे मारने वाला था पर..." समीर की बात बीच में रह गयी तभी पीछे से ट्रक स्टार्ट होने की आवाज़ आई।
"कितनी देर में आ जाओगे तुम लोग?" कैप्टन ड्राइवर वाली खिड़की से झांक कर चिल्ला रहा था। समीर ने हाथ हिला कर इशारा किया की आ रहे हैं।
"सॉरी" दोनों बहनों ने एक साथ बोला।
"कोई बात नही अभी दूसरी मुसीबतें सामने हैं" समीर ने सामान उतारते हुए कहा। तीनों ने सारा सामान उतारकर ट्रक में रखवा दिया। सामान के रूप में खाना, पानी और हथियार थे। आखरी बॉक्स ले कर जाते हुए जेनिलिया ने समीर की तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली "थैंक यू" समीर ने भी धीमी आवाज में पूछा "और किस लिए?" जेनिलिया रुक गयी और समीर भी जवाब सुननें के लिए रुक गया।
"भरोसा दिलाने के लिए की जब तक साथ हो जैनी को कुछ नही होगा" जेनिलिया ने कहा।
"वाक़ई? तुम्हे सच में भरोसा है?" समीर ने हंसते हुए पूछा।
"हम्म, तुम अच्छे इंसान हो" जेनिलिया ने मुस्कुराते हुए कहा और तेजी से ट्रक की तरफ निकल गयी। समीर खड़ा हुआ मुस्कुराता रहा।
ट्रक के पीछे अंदर की तरफ कैप्टन खड़ा था और नीचे जैनी। दोनों खड़े हुए इन दोनों को देख रहे थे।
"अच्छी जोड़ी है, इन दोनों के बीच मे जरूर कुछ है" कैप्टन ने कहा।
"मेरी बहन की पसंद इतनी खड़ूस कभी नही हो सकती" जैनी ने कहा।
"क्या नाम है बच्ची तुम्हारा?"
"जैनी"
"और तुम्हारी बहन का"
"जेनिलिया"
"और तुम्हारे होने वाले रिश्तेदार का?"
जैनी ने कैप्टन को घूरा "घनचक्कर"
"ये भला कैसा नाम हुआ? माँ-बाप ने ये नाम रखा था उसका?" कैप्टन ज़रा सा हंसता हुआ बोला।
"कैप्टन? ये भला कैसा नाम हुआ? माँ-बाप ने ये नाम रखा था तुम्हारा?" जैनी ने भौहें तिरछी करके कहा।
"हे लड़की, ये नाम मैंने खुद रखा है, क्योंकि मैं हूँ ही कैप्टन, मेरे काम भी कैप्टन वाले ही हैं सब" गर्व से सीना फुलाते हुए उसने कहा और आगे बोला "माँ-बाप का ही नही पता कौन थे कौन नही नाम कहाँ से याद रहता उनका दिया हुआ"।
"हे कैप्टन, ये नाम उसने खुद रखा है, क्योंकि वो है ही घनचक्कर, उसके काम भी घनचक्कर वाले ही हैं सब" फिर फूँक मार कर माथे के बाल उड़ाते हुए बोली "माँ-बाप भी उसे इसी नाम से बुलाते थे"।
कैप्टन ने उसकी बातें सुन कर सिर हिलाया। तभी जेनिलिया और समीर भी वहाँ आ गए। उन्होंने आखरी डिब्बे कैप्टन को दे दिए। वों अंदर जाने के लिए आगे बढ़े पर तभी कैप्टन ने रोक दिया।
"रुको अभी" उसने कहा।
"अब क्या हुआ" समीर ने पूछा।
"हथियार, अपने-अपने हथियार जमा कराओ" तीनों ने उसे ऊपर से नीचे हैरानी से देखा। कैप्टन ने अपनी बात समझाई "सुरक्षा का मामला है ना" कैप्टन ने कन्धे उचकाते हुए कहा।
तीनों ने एक दूसरे का मुह देखा और फिर समीर ने हथियार देने का इशारा किया। हथियार दे कर वों तीनो ट्रक के अंदर दाखिल हुए।
ट्रक, अंदर से वो आलीशान लैब-होटल-रेस्टोरेंट और भी पता नी क्या-क्या था। उसमें 20 लोगों के बैठने-उठने और लेटने का पूरा बन्दोबस्त था। 3 कंप्यूटर स्क्रीन्स लगी हुई थी। ट्रक के बाहर चारों तरफ कैमरे थे जिनका व्यू एक स्क्रीन में दिख रहा था। ड्राइवर की सीट सामने दिखती थी। ट्रक पूरा एक ही कैबिन था। देख कर उनकी आंखें खुली की खुली रह गयी। लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी इस बात की थी कि ट्रक में कैप्टन के अलावा और कोई नही था। मतलब वो सारी फायरिंग और ड्राइविंग एक वक्त पर अकेला कैप्टन ही कर रहा था। पर कैसे?
"तुम अकेले चला रहे थे इसे? एक साथ कैसे कर रहे थे सब?" जेनिलिया ने पूछा।
कैप्टन ने हवाबाजी करते हुए ड्राइविंग सीट के आगे लगे बोनेट-पैनल की तरफ इशारा किया। वो अत्याधुनिक पैनल था। उसपे बहुत सारे लीएवर्स, बटन्स और हैंडल्स लगे हुए थे। मतलब सिर्फ एक जगह बैठे-बैठे पूरा ट्रक ऑपरेट किया जा सकता था।
"लाजवाब" समीर के मुँह से निकला।
"ये तो गजब की बला है" जैनी ने कहा।
कैप्टन ने एक दराज जैसे फ्रीज़र से बियर की बोतलें निकालते हुए कहा "हे, इसका नाम KKBR है समझे"।
उसने जेनिलिया और समीर को एक-एक बियर देदी और जैनी हवा में हाथ हिलती रह गयी।
"तुम बियर नही पी सकती, मेरे सामने तो बिल्कुल भी नही, रूल नम्बर 4 याद है ना?" जेनिलिया ने जैनी के बाल सहलाते हुए कहा और वो मुह बिचका कर रह गयी।
"KKBR? क्या मतलब है इसका?" समीर ने पूछा।
"कैप्टन की बिल्लो रानी" कैप्टन ने बियर गटकते हुए कहा।
तीनों की हंसी एक दम फुट पड़ी।
"अरे यही है, मैंने खुद रखा है" कैप्टन ने यकीन दिलाते हुए कहा पर वों तीनों हंसे जा रहे थे। कैप्टन आगे बोला "चलो अब यहाँ से, इंट्रोडक्शन तो हो ही गया है, जेनिलिया, जैनी और...और...क्या नाम बताया था इस गबरू जवान का....हाँ घनचक्कर..याद आ गया...(मुस्कुराते हुए) तुम सबका स्वागत है।"
जेनिलिया और समीर जैनी की तरफ देखते हैं।
"मेरा नाम समीर है, दोस्त, हमारी जान बचाने के लिए शुक्रिया, सच में हम शुक्रगुजार हैं" समीर ने संजीदगी से कहा।
कैप्टन ने समीर की आंखों में 3 सेकेंड के लिए देखा, मानो कुछ ढूंढ रहा हो या कुछ जाना पहचाना मिल गया हो उसे उन आंखों में, फिर वो समीर की बाजू को थपथपाते हुए बोला "ये तो मेरा फ़र्ज़ था दोस्त"।
तभी ट्रक के अंदर ज़ोर-ज़ोर से सायरन बजने लगा और लाल रोशनी होने लगी। सभी चोंक गए।
कैप्टन अफरा तफरी में बोला "अरे नही, अभी नही, जल्दी कुछ कस के पकड़ लो जल्दी"।
"लेकीन हुआ क्या है?" जेनिलिया ने हैरान होते हुए पूछा।
"पहले खुद को सम्भालो और कुछ कस के पकड़ लो" कैप्टन ने दांत भींच कर और आंखे कस के मीच के कहा जैसे कुछ बहुत बड़ा होने वाला है।
सबने आस-पास से कुछ ना कुछ सहारा ले लिया। और तभी भूकम्प का एक तेज, हिला देने वाला झटका आया। ऐसा लगा मानो धरती फट के दो टुकड़ों में बंट जाएगी। लगभग 2 मिनट तक चले इस भूकंप ने बाहर रेत को तक़रीबन 5 मीटर तक उछाल दिया। दो मिनट बाद शांति हुई।
"ये सच में बहुत तेज था" जैनी बोली।
"ये सिर्फ एक भूकम्प था, दूसरे या तीसरे दिन ये होना आम सी बात है। हम बचपन से देखते आ रहे हैं।" समीर सांस लेते हुए कहा।
"सही कहा, इसमें इतना घबराने वाली तो कोई बात नही थी जो इतनी ज़ोर से सायरन बजा" जेनिलिया ने कैप्टन को देखते हुए कहा।
कैप्टन जो खड़ा-खड़ा उनकी बातें सुन रहा था और साथ ही उसने जेब से एक छोटी डायरी निकाल ली थी जिसमें वो कुछ लिख रहा था, शायद टाइम लिख रहा था क्योंकि वो घड़ी में देख रहा था साथ-साथ। फिर उसने सिर उठा कर तीनों को देखा और बोलना शुरू किया "4:50, आज सुबह भी एक भूकम्प आया था 4:50 पर अगर तुम में से किसी ने महसूस किया हो और अभी शाम के 4 बज कर 28 मिनट हो गए हैं। मतलब 12 घण्टे में दूसरी बार, ऐसा पहले कभी नही हुआ। आमतौर पर यें भूकम्प के झटके 2 दिन में एक बार या एवरेज दिन में एक आता है लेकिन अब इनके बीच का गैप घटता जा रहा है, (फिर शून्य में कहीं देखता हुआ आराम से बोला) ये ठीक बात नही है।"
"तुम कहना क्या चाहते हो? क्या मतलब है इसका" समीर ने उत्सुकता से पूछा।
कैप्टन ने उसकी आँखों में 5 सेकेंड के लिए देखा और एक-एक शब्द पर ज़ोर देते हुए बोला "ये ग्रह मर रहा है"। और इतना कह कर वो तेज़ी से ड्राइविंग सीट की तरफ चला गया। बाकी सब उसकी बातों को समझने की कोशिश करते रहे।
"ओह, तो हम एक मरते हुए प्लेनेट पर अपने मरने का इंतजार कर रहे हैं, बहुत बढ़िया" जैनी ने कहा।
कैप्टन ने ट्रक स्टार्ट किया और घुमा कर दूसरी दिशा में मोड़ दिया।
"तो हम भाग किस से रहे हैं? जब मरना ही है तो क्या मतलब इस सब भागदौड़ का?" जेनिलिया ने तेज मग़र संजीदा स्वर में पूछा।
कैप्टन ने गर्दन बाईं तरफ से हल्की सी पीछे की और बोला "जितना तुम समझ रही हो ये खेल उससे कहीँ बड़ा है लड़की"।
"और हम जा कहाँ रहे हैं?" समीर ने पूछा।
"उत्तर की ओर" कैप्टन ने बोल कर गाड़ी आगे बढ़ा दी।
समीर ने कुछ सोच कर बोला "देखो, कैप्टन, (गला साफ करते हुए), मुझे....मतलब हमें, तुम आगे रिफ्ट पर उतार देना, हम वहीं से अपना आगे का रास्ता ढूंढ लेंगे" समीर ने ऐसा कह कर जैनी और जेनिलिया की तरफ देखा जबकि उनका ध्यान कैप्टन पर था की वो क्या जवाब देता है।
"तुम लोगों को जाना कहाँ है?" कैप्टन ने पूछा।
तीनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे क्योंकि उनकी मंजिल अलग-अलग थी और देखा जाए तो कोई मंजिल थी भी?
जेनिलिया थोड़ा संभलते हुए बोली "हमें पश्चिम में समंदर की तरफ जा रहे हैं।" समीर ने इस अप्रत्याशित जवाब पर जेनिलिया की तरफ देखा। वो समझ गया था कि जेनिलिया को कैप्टन से ज्यादा उस पर भरोसा है।
"या तो तुम बहुत बड़े बेवकूफ़ हो या कोई शातिर अपराधी" कैप्टन ने जवाब दिया।
"क..क्या मतलब?" समीर ने ज़रा सा हकलाते हुए पूछा।
कैप्टन जोर से हंसा और बोला "अगर रेत के समंदर की बात कर रहे हो तो ठीक है, नही तो पानी के समंदर इस ग्रह पर बचे ही कहाँ हैं।"
तभी गाड़ी के ब्रेक लगते हैं। सभी चौंक जाते हैं। तीनों आकर ड्राइवर सीट के पीछे खड़े हो जाते हैं ताकि माजरा क्या है जान सकें। विंडस्क्रीन से बाहर का भयवाह नज़ारा देख कर चारों के मुँह खुले के खुले रह गए। वों तीनों तो उस मंजर को देख कर जड़ से हो गए थे लेकिन कैप्टन के चेहरे के भाव अलग थे, मिश्रित भाव लिए उसने बाहर देखते हुए कहा "शायद अब पश्चिम की और ही जाना जोड़ेगा।"
"ये है क्या? आखिर यहाँ हुआ क्या है?" समीर ने फ़टी हुई आंखों से बाहर देखते हुए पूछा?
....जारी है...
(आपको ये कहानी कैसी लग रही है दोस्तो? मुझे कंमेंट करके जरूर बताएं😊😊🙏🙏)