(अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे कैप्टन उन तीनों को अपने साथ आने को राजी कर लेता है। वों उत्तर की और बढ़ रहे होते हैं पर तभी उनके रास्ते में एक अजीब और खतरनाक बाधा आ पड़ती है जो उन्हें रुकने पर मजबूर कर देती है। आइए जानते हैं कि क्या था उनके रास्ते में।)
"ये है क्या? आखिर यहाँ हुआ क्या है?" समीर ने फ़टी हुई आंखों से बाहर देखते हुए पूछा?
"चलो चल कर देखें?" जैनी रोमांच से चहकते हुए बोली।
कैप्टन ने इंजन बन्द करते हुए कहा "चलो"।
चारों ट्रक से नीचे आये। वो एक लंबी दरार थी। जो उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक ढलान बना रही थी। उसकी चौड़ाई लगभग 8 फुट थी। उसके अंदर से पीले रंग का हल्का प्रकाश आ रहा था और उसमें से हल्के-हल्के आग के पतंगे व राख के कण हवा में ऊपर उड़ रहे थे। चारों उसकी ढलान पर खड़े अंदर झांक रहे थे।
कैप्टन ने उस गहरी खाई की तरफ इशारा करते हुए समीर से कहा "लो ये एक नई रिफ्ट बन गयी"।
जेनिलिया ने जैनी को हाथ से पीछे करते हुए कहा "ये तो लावा है"।
"लावा का दरारी प्रवाह हुआ है" समीर दाढ़ी खुजाते हुए बोला।
"वो भूकम्प कोई आम भूकम्प नही था। अब ज्वालामुखी भी फटने लगे हैं यहाँ" कैप्टन ने कहा।
समीर हाथ के इशारे से कुछ पैमाइश करता हुआ बोला "इसकी चौड़ाई...अ...यही कोई 7 से साढ़े 8 या 9 फुट होगी।"
जैनी ने मुस्कुराते हुए कैप्टन को देख कर कहा "तुम्हारी बिल्लो रानी तो इसके पार नही जा सकती, क्योंकि अगर कोशिश भी की तो बिल्लो रानी कल्लो रानी बन जाएगी।"
कैप्टन ने उसे घूरा और फिर उनसे बोला "इसी लिए मैंने कहा था कि अब हमें पश्चिम की ओर से पार करना होगा क्योंकि पूर्व की ओर इसकी चौड़ाई और गहराई बढ़ती हुई दिख रही है, वहाँ जमीन भी अस्थिर होगी।"
"उत्तर में ऐसा क्या है जो तुम वहाँ जाना चाहते हो? बताओ" जेनिलिया ने पूछा।
"हम्म, अगर तुम खुद चल कर देख लो तो..." कैप्टन की बात पूरी नही हुई थी कि उन तीनों का ध्यान अपने पीछे गया। जब वों तीनों बातों में लगे थे तो समीर ट्रक में कुछ और ही कर रहा था। वो अपना सामान अपनी कार्ट में रख कर उसे खींचता हुआ आया और उनके पास आ कर खड़ा हो गया। तीनों उसे हैरानी से देख रहे थे। वों उसके बोलने का इंतजार कर रहे थे। समीर बोला "मुझे लगता है मुझे यहीं से अपने रास्ते निकलना चाहिए, जेनिलिया तुम अगर चाहो तो साथ आ सकती हो और चाहो तो कैप्टन के साथ इस प्रायद्वीप को ट्रक से पार कर सकती हो (कुछ सोच कर आगे बोला) हम अब शायद ना मिलें, तुम सबके साथ यहाँ तक का सफर अच्छा रहा..." समीर बोल ही रहा था कि कैप्टन उसके मुँह के आगे हाथ घुमाता हुआ बोला "हलो, कहाँ जा रहे हो? तुम्हें मरने का शौंक है? वो हत्यारे हम लोगों को भूखे भेड़ियों की तरह ढूढं रहे होंगे।"
समीर ने लापरवाही से कहा "वों भला हमें क्यों ढूंढेंगे? दिन में कितने लोगों का शिकार करते होंगे वों हत्यारे, सबको याद थोड़ी रखते होंगे, तुम्हारी तरह सब कुछ डायरी मे नही लिखते होंगे।"
कैप्टन ने भी इत्मीनान से जवाब दिया "हाँ पर सब उनसे बचकर भाग भी तो नही जाते और सबको बचाने (ट्रक की तरफ इशारा करते हुए) ये ट्रक भी नही आता।"
जेनिलिया, जिसका सिर घूम रहा था उनकी बातें सुन कर, बोली "चल क्या रहा है? कोई ठीक से बताएगा? कैप्टन हमें सच-सच बताओ कौन हो तुम? कहाँ जा रहे हो? तुमने हमें ही क्यों बचाया? मकसद क्या है तुम्हारा?"
बाकी तीनों की नजरें कैप्टन पर टिकी थी। उसने लम्बी सांस ली और बारी-बारी से तीनों के रंग उड़े चहेरों पर नजर डाली। फिर बोलना शुरू किया "देखो दोस्तो...अ....ये स्स..सब....कहाँ से शुरू करूँ समझ नही आ रहा, मेरी बात समझने की कोशिश करना तुम लोग प्लीज़"।
जैनी मुँह खोले उसे देख रही थी और अपने दिमाग के हिसाब से स्थिति को जान ने की कोशिश करती हुई बोली "समझेंगे, समझेंगे, आप बोलिये तो सही"।
कैप्टन कुछ बोलने के लिए मुँह खोलता और फिर इधर-उधर देखने लगता।
समीर ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में बोलते हुए कहा "कुछ बोलेंगे कप्तान साहब?"
कैप्टन ने जैसे खुद को मजबूत किया और बोला "देखो, ये ट्रक या कह सकते हो कि मैं और ये ट्रक उन हत्यारों समेत बहुत से दूसरे बुरे लोगों के दुश्मन हैं। जो भी इस ट्रक में है वो उनका यानी उन हत्यारों और दूसरे कुछ बुरे लोग, उन सबका दुश्मन है। क्योंकि ये ट्रक जिनसे मैंने चुराया है वों और भी खतरनाक लोग हैं। अब क्योंकि तुम लोगों को इस ट्रक ने बचाया यानी मैंने बचाया है तो तुम भी मेरी ही कैटेगिरी के हो उनके लिए।" उसने एक सांस में सब बोल दिया। और ये सुन कर सबके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी।
समीर ने गुस्से में कहा "मतलब तुमने हमें बचाया नही है, बल्कि फंसा दिया है? और कौन-कौन पड़ा है तुम्हारे पीछे? मुझे तो तुम ही सबसे बड़े दुश्मन लग रहे हो।"
"हमारे साथ एक बच्ची भी है कम से कम इसका तो सोच लेते" जेनिलिया के दांत किटकिटाते हुए कहा।
"तो मैं क्या करता? तुम लोगों को मरने देता? उनके तुम सबको मारने तक रुक कर देखता रहता? बताओ? फिर क्या तुम(समीर) या तुम(जेनिलिया) या ये बच्ची बच जाते?" सब उसके मुँह की तरफ देख रहे थे। वाकई में उनके पास उसके सवाल का जवाब नही थे। उसने आगे बोला "देखो अनजाने में मैंने तुम्हे खतरे में डाल दिया है, जानता हूँ, पर सोचो ज़रा मेरा भला क्या फायदा इसमें? मैंने तुम्हें बस बचाया है, वही किया जो कर सकता था या जो करना चाहिए था।"
"पर अब हम कहीं भी ऐसे ही नही जा सकते जैसे पहले जा सकते थे, हम अब आज़ाद नही रहे" समीर ने निराशा के साथ कहा।
"वो तो तुम पहले भी नही थे, खास तौर पर तुम, समीर। ये अंगूठी जो तुमने हाथ में डाल रखी है, जानता हूँ की तुम्हारी नही है क्योंकि इसे डालने वाले लोग ऐसे तुम्हारे जैसे नही होते, पर जिसने भी तुम्हे ये दी है उसने शायद इसके बारे में तुम्हे नही बताया।"
समीर उस S वाली अंगूठी की देख रहा था और तभी जैनी बोली "वो इस लिए क्योंकि जिसकी ये अंगूठी है वो बोलने की हालत में नही था क्योंकि उसका सिर सड़क पर बिखरा पड़ा था और समीर ने उसे मार डाला था" जेनिलिया ने जैनी को चुप रहने का इशारा किया।
समीर जैनी की बात सुन कर चौंक गया और हैरानी से बोला "ये बात तुम्हें कैसे पता? तुम दोनों तो वहाँ थी ही नही..(फिर कुछ सोचते हुए बोला) एक मिनट, एक मिनट, तुम दोनों वहाँ थीं, तुम वहाँ भी थी" दोनों बहनें नजरें चुराने लगीं। जेनिलिया जैनी की तरफ घूर रही थी और जैनी ज़मीन में घुंसने को हो गयी। समीर आगे बोला "तुम दोनों कब से मेरा पीछा कर रही हो? हां? बताओ, कहीं तुम तीनों मिले हुए तो नही हो? क्या चाहिए मुझसे तुम सबको? बोलो?"
जेनिलिया ने जवाब दिया "हम तुम्हें बस दूरबीन से देख रहे थे, बस इतना ही। हम दूर थे और जहाँ तुम्हारा सामान चोरी किया बस वहीं से आगे बढ़ गए थे। अगर वों आदमख़ोर तुम पर हमला ना करते तो हम कभी नही मिलते। और (कैप्टन की तरफ इशारा करके) इस आदमी को हम उतना ही जानते हैं जितना तुम बस ये ही सच है"।
कैप्टन ने उसकी हाँ में हाँ मिलाई "ये सच बोल रही है।"
समीर झुंझलाहट से उभरता हुआ बोला "ठीक है। तो मुझे बताओ, क्या है इस अंगूठी का राज? इसपे सिर्फ S लिखा है, कुछ खास इसमें मालूम नही पड़ता।"
"ध्यान से देखो वो S नही डबल S है, पहले वाले S के साथ-साथ एक हल्का सा S लिखा है। ये एक सिम्बल है सोल्जर्स एंड सर्वाइवर्स ग्रुप का। वों लोगों को बचाने के लिए जाने जाते थे। अलग-अलग जगहों पर जा कर मदद करते थे। पर एक वक्त ऐसा आया जब उन्हीं में से किसी एक ने अपनी अलग शाखा बना ली और दुनिया को अपनी प्रजा मान कर खुद को प्रथम सार्वभौमिक शासक घोषित कर दिया। ग्रुप के ज्यादातर लोग उससे प्रभावित हो कर उसके साथ जुड़ गए और बाद में और भी लोग उनसे जुड़ गए। अब जो असली ग्रुप था उसके गिने-चुने लोग बच गए और वों भी छुप कर रहने लगे। अब हर जगह यें दूसरी शाखा के लोग ही कायम हैं। यें लोग अपने बनाये नियमों के हिसाब से गलत और सही तय करते हैं। अगर उन्हें ज़रा भी लगता है कि तुम्हारा अस्तित्व उनके या इस ग्रह के लिए खतरनाक है तो वों बिना और कुछ सोचे समझे तुम्हें मार देंगे। यें हत्यारे लूटेरे तो बस नमूने हैं उनके आगे। असली मुसिबत यें SS गैंग है। और इस अंगूठी को तुम ऐसे ही उतार कर नही फेंक सकते। क्योंकि इससे वों तुम्हें और भी आसानी से ढूढं लेंगे। उनकी टेक्नोलॉजी के आगे यहाँ की आज तक कि सारी तकनीकें सिर्फ मज़ाक लगती हैं। वों क्या कर सकते हैं तुम सोच भी नही सकते। उनकी कारीगिरी का एक नमूना ये ट्रक तुम देख ही रहे हो।"
"तुम्हें ये सब कैसे पता? और तुम्हारा इस सबसे क्या लेना-देना?" समीर ने पूछा।
"मैं भी उन्हीं का सताया हुआ हुँ। वों लोगों को उठा कर ले जाते हैं। उनसे काम करवाते हैं और जब वों काम के नही रह जाते तो उन्हें इन मुर्दों का चारा बना देते हैं। अपनी सुरक्षा के लिए उन लोगों ने बहुत सारे मुर्दों को कैद कर रखा है और वक़्त पड़ने पर उनका इस्तेमाल करके बसी बसाई कॉलोनियों को उजाड़ देते हैं। हमारी कॉलोनी पर भी उन्होंने हमला किया था। बहुत से लोगों को मार दिया और कितनों को उठा कर ले गए। (सिर नीचे करके धीमे स्वर में बोला) मेरी पत्नी और बेटी उनके पास है। उन्हें बचाने निकला हूँ। बस यही वज़ह है और कुछ नही। मुझे तुम लोग क़िस्मत से मिल गए। मुझे लगा मैं तुम्हारी और इस ट्रक की मदद से इस काम को कर लूंगा पर मैं ऐसे किसी को अपनी निजी समस्याओं में नही खींच सकता। मुझे माफ़ कर देना।" उसकी आँखों में आँसू आ गए थे और उसने दूसरी तरफ मुँह कर लिया।
"परिवार, परिवार हमेशा मुसीबतों का कारण होता है, ऐसी दुनिया में जहाँ ज़िंदा रहना और मरना दोनों एक श्राप हैं। ज़िंदा हो तो ज़िंदा रहने के ये भटकते रहो और अगर गलती से मुर्दों के हाथों मर गए तो फिर मरने के लिए भटकते रहो जब तक कि कोई तुम्हारे सिर में गोली ना मार दे" समीर ने कहा। जेनिलिया और जैनी खड़े हुए देख रहे थे। तीनों कैप्टन की हालात पर द्रवित हो गए थे।
"तुम लोग अपने रास्ते जा सकते हो। जहाँ कहोगे वहीं छोड़ दूंगा। मैं खुद ये काम करने की कोशिश करूंगा, अकेले लड़ूंगा उनसे।" कैप्टन ने कहा।
"हाँ छोड़ देना, पर जब तुम्हारा परिवार मिल जायेगा तब। मैं तुम्हारे साथ हूँ।" समीर ने कैप्टन के पास आकर उसके कंधे पे हाथ रखते हुए कहा।
"हम भी साथ चलेंगे।" जेनिलिया में भरोसा दिलाया और जैनी की तरफ़ देखा। वो मुस्कुरा रही थी जैसे यही चाह रही हो।
कैप्टन का सिर नीचे था और उसका चहेरा दरार की तरफ था जबकी बाकी उसके पीछे खड़े थे। उसने कहा "तुम सबका शुक्रिया दोस्तो।"उसके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कुराहट थी, उसमें विजय का पुट था, जैसे किसी लड़ाई को जीत लिया हो।
तभी कहीं से अजीब सी गुर्राने की आवाज़ आई। उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा की पश्चिम से कईं सारे आदमख़ोर आ गए थे। उनमें इंसानी मुर्दों के साथ-साथ दो तीन कुत्ते भी थे, जो कि उसी वायरस से इन्फेक्टेड थे और मुर्दा थे। उनको देख कर वों लोग घबरा गए क्योंकि वों ट्रक से दूर थे और मुर्दे पास आ गए थे। उनके हथियार भी ट्रक में थे। समीर ने कार्ट से रॉड़ उठाई और मुर्दों व उन तीनों के बीच खड़ा हो गया। फिर एक लड़ाई शुरू हुई। समीर रॉड़ से उन मुर्दो के सिर को चकना चूर कर रहा था। उनके साथ आये आदमखोर कुत्तों का भी उसने बेख़ौफ़ हो कर सामना किया। समीर लड़ता-लड़ता उन मुर्दों के बीच घिर गया। उसको लड़ता देख जेनिलिया औए कैप्टन भी आगे आये। वों दोनों निहत्थे थे इस लिए मुर्दों को अपनी तरफ बुला-बुला कर उनको उस ज्वालामुखी की दरार में धकेलने लगे।
जेनिलिया ने जैनी को पीछे खड़े रहने को कहा। तभी समीर लड़ते-लड़ते गिर गया। और वों मुर्दे उस पर टूट पड़े। जेनिलिया उसकी मदद को आई। वो उन मुर्दों को लातें मार-मार कर धकेलने लगी। समीर उठ कर फिर से अपने काम पर लग गया। मुर्दे उनकी सोच से ज़्यादा थे, और भी आ रहे थे। तभी मुर्दे जेनिलिया पर टूट पड़े। कैप्टन ने उसकी मदद की। एक आदमख़ोर कुत्ता जैनी की तरफ दौड़ा, जेनिलिया उसका नाम लेकर चीखी पर वो कुछ करती उससे पहले ही समीर ने दौड़ कर उस कुत्ते के ऊपर छलांग लगाई। उसका सिर रॉड़ से तोड़ कर उसे मार दिया। उन्होंने सभी मुर्दों को मार दिया बस आखिर में तीन बच गए। तीनों एक साथ जैनी और समीर की तरफ लपके, जेनिलिया और कैप्टन दूर थे। समीर ने फुर्ती से छलांग लगाते हुए जैनी को दूर धकेल दिया और रॉड़ से उनमें से एक मुर्दे को तो मार दिया पर बाकी दो ने समीर को नीचे गिरा दिया। उसके हाथ से रॉड़ छूट गयी। उस वक़्त वो दरार के बिल्कुल किनारे पर लेटा था और उसका सिर दरार में लगभग लटका हुआ था। ऊपर से उन मुर्दों की बदबू और सिर के नीचे से उबलते हुए लावा की तपिश, इन दोनों चीजों ने हालात गम्भीर बना दिये थे। जब मुर्दे समीर पर भारी पड़ने लगे तो उसने एक मुर्दे को ज़ोर लगा कर दरार में अपने ऊपर से फेंक दिया। कैप्टन और जेनिलिया मदद के लिए आगे बढ़े पर उनके समीर तक पहुंचने से पहले ही एक अनहोनी हो गई। वो आखरी आदमख़ोर मुर्दा थोड़ा भारी था। उसे पटकने के चक्कर में समीर का संतुलन बिगड़ गया और वो भी उसके साथ उस लावा से भरी दरार में लुढ़क गया। जैनी ये देख कर कांप गई, जेनिलिया को भी मानो भागते-भागते अपने कदम भारी लगने लगे। तब तक शायद एक अनहोनी घट चुकी थी।
....जारी है....