तीन गाड़ियां, एक ट्रक और 6 घुड़सवार थे। वों कुल मिला कर 25 से 30 लोग होंगे। रेत की धूल अब धीरे-धीरे नीचे बैठ रही थी। माहौल में शांति थी। हमारे तीनों पात्र जो एक छोटे से ट्रक के कैबिन में दुबके बैठे थे, उन्होंने गाड़ी के शीशे बन्द कर रखे थे। फिर बाहर से कुछ आवाजें आने लगीं। उन्होंने देखा वों हत्यारे-लूटेरे अपनी गाड़ियों से नीचे उतर रहे थे। उनके पास बन्दुक थी। उन्होंने अपने मुँह ढंक रखे थे।
"कुछ भी हो जाये नीचे मत उतरना, गाड़ी का दरवाजा मत खोलना" जेनिलिया बोली।
"इससे अच्छा प्लान है किसी के पास?" समीर ने पूछा।
"नही" दोनों एक साथ बोलीं।
"Good, तो आराम से नीचे उतरो, मैं इनसे बात करता हूँ" समीर ने कहा।
"पागल हो गए हो? क्या बात करोगे इनसे?" जेनीलिया बोली।
"वही, तुम्हारा वो उसूल बेच के देखूँगा, (उसकी नकल करते हुए) हम खून खराबा नही चाहते" समीर ने उसे चिढ़ाया। और धीरे से अपनी तरफ का दरवाजा खोला साथ ही अपनी कमर में रखी गन भी निकाल ली। वों उनको घेरे खड़े उन हत्यारों का जायजा ले रहा था। अभी खिड़की थोड़ी ही खुली थी कि एक जोर का धमाका हुआ, और जहाँ उनके घुड़सवार खड़े थे वहाँ पर रेत का गुबार उठ गया। उनके घुड़सवार और घोड़े, सब के चिथड़े उड़ गए। समीर ने एक दम से खिड़की बन्द कर ली। वों लुटेरे भी कुछ तो नीचे बैठ गए और कुछ जा कर गाड़ियों में चढ़ गये। तभी गोलियों की बारिश उन हत्यारों पर होने लगी उनके ज़्यादातर आदमी मारे गए। ऐसा लग रहा था जैसे कोई मशीन गन से दनादन फायर किए जा रहा हो। यें तीनों भी सिर नीचे किये बैठे थे। दोनों तरफ से गोलियां चल रही थी। कुछ गोलियां आ कर उनकी गाड़ी में लगीं और ट्रक के टायर पंचर हो गए। उन हत्यारों के बहुत लोग मारे गए। और बाकी बचे हुए गाड़ियां ले कर वहाँ से फौरन भाग गए।
सब शान्त हो गया। इन तीनों ने सिर उठा कर उन अनजान गोलियों की दिशा में देखा।
"कौन है ये रक्षक?" जैनी ने उत्सुकता से पूछा।
"इतनी जल्दी फैसला मत करो छोटी बच्ची, उसके हमारे पास आकर हमारे सिर में गोली मारने तक रुकी रही" समीर कहा।
जैनी और जेनीलिया ने अजीब तरीके से समीर की देखा।
"बहुत वाहियात हो तुम" जैनी बोली।
तीनों ने देखा रेत का एक गुबार उनकी तरफ आ रहा था। धीरे-धीरे धूल हटी तो दिखा की एक बड़ा सा आर्मी ट्रक, जिसे modify किया गया था, जिसके कैबिन और पीछे का कैरियर जुड़ा रहता है(दोनों एक ही होते हैं), उस तरह का ट्रक। उसके ऊपर 5 से 6 मशीनगन्स लगी थी और 2 से 3 राकेट लॉन्चर लगे थे। देखने से ही बाहर से काफी मजबूत लग रहा था। उसके बाहर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था, K.K.B.R. ट्रक आ कर घूम कर उनकी तरफ खड़ा हो गया। ड्राइवर वाली साइड अब उनकी तरफ थी। उन्होंने देखा उसके आगे और साइड में भी बन्दुक लगी थी।
तीनों की नज़रें उस ट्रक के दरवाज़े पर टिकी थी। दरवाजा खुलता है और एक 45-47 साल का आदमी गले में हैडफोन लटकाए बाहर निकलता है और ज़ोर-ज़ोर से हंसता हुआ कहता है "सामने आओ चिलगोज़ो, कहाँ छुप गए?"
"हे छोटी बच्ची, तुम्हे बुला रहा है" समीर धीरे से बोला।
"तुम चिलगोजे, तुम्हारा बाप चिलगोज़ा" जैनी ने दांत किटकिटाते हुए समीर को हड़काया।
वो आदमी ऐसे ही कुछ भी बोलता हुआ उनकी गाड़ी के पास आया और दरवाज़ा खोलते हुए बोला "अच्छा हुआ तुम लोग बच गए, वैसे मेरी कैलकुलेशन के हिसाब से तुम्हारे बचने के चांसेज बहुत कम थे, इतने कम की इस छोटी बच्ची से भी कम"।
जैनी ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा।
"और अब? अब कितने चांसेज हैं, मतलब...?" समीर ने पूछा।
"आह, हां, अगर यहाँ रहोगे तो कोई चांसेज नही और अगर साथ चले तो शायद कुछ हों" उस बन्दे ने जवाब दिया।
वों तीनों नीचे उतरे। जेनीलिया ने उस आदमी से कहा "हमें बचाने के लिए थैंक यू"।
"अरे नही मोहतरमा, मुझे लगा नही था कि तुम लोग बचपाओगे, मैं तो बस उन हरामजादों को मारना चाहता था, मतलब मैं चाहता था कि तुम बच जाओ पर वो कहते हैं ना कि ये मेरा प्राइम मोटिव नही था।" वो मुसकुराता है।
तीनों उसे अजीब तरीके से देखते हैं।
"तुम्हारी बच्ची बहुत प्यारी है, लगता है बहुत कम उम्र में मा-बाप बन गए थे तुम दोनों, काफी बड़ी बच्ची है" उस आदमी ने जैनी की तरफ देखते हुए अपने कॉमिक अंदाज में कहा।
"हम दोनों बहनें हैं, और ये हमारा कोई नही है" जैनी भुन्नाई।
"बहनें? उस हिसाब से तुम बहुत छोटी हो, ख़ैर, रिश्तेदारियां बाद में, फिलहाल चलो मेरे पीछे मेरे ट्रक में, यहाँ ज्यादा देर रहना ठीक नही है ये क्राइम सीन है ना, चलो (वो अपने ट्रक की तरफ चला और फिर एक दम से मुड़ कर बोला) मैं कैप्टन हूँ और यही मेरा नाम है तुम लोग अपनी तारीफ ट्रक में देना, चलो जल्दी यहाँ खतरा है" वो आदमी मुसकुराता हुआ अपने ट्रक की तरफ मुड़ता है।
"वो हमारा कुछ सामान है गाड़ी में अगर उसे भी..?" जेनीलिया बोली।
"जरूर, सामान तो जितना ज्यादा, उतना ही कम, हे यंगमैन इनकी मदद करो तब तक मैं अपनी बन्दुकें रीलोड कर लेता हूँ" कह कर वो ट्रक की तरफ मुड़ गया और वों तीनों अपने ट्रक से सामान उतारने के लिए मुड़े।
"क्या हमें इसके साथ जाना चाहिए?" जेनीलिया ने समीर से
पूछा।
"मुझसे पूछ रही हो?" समीर ने पूछा।
जेनिलिया ने उसे सवालिया नजरों से देखा।
"अरे, देखो, मैं उसके साथ बस थोड़ी आगे तक जानेवाला हूँ, उससे जरूरत का कुछ सामान मांगूंगा और अपने रास्ते निकल लूंगा" समीर ने कहा।
जेनीलिया उसकी बात सुन कर जमीन की तरफ देखने लगी।
"देखो मैं अकेला हूँ और मेरे पास कोई नही है जिसे परिवार कहा जा सके, (जैनी की तरफ देख कर)पर तुम्हारे पास है, तुम्हे सोच समझ कर फैसला करना होगा। चाहो तो तुम भी आगे जा कर मेरे साथ उतर सकती हो। अंदर ट्रक में यकीनन 4 से ज्यादा लोग हैं, जो इतनी गोलियां बरसा रहे थे। मैं इतना कर सकता हूँ कि जब तक साथ हैं वो तुम्हे या जैनी को नुकसान नही पहुचाएगा। आगे तुम्हारी मर्ज़ी है पर फिलहाल यहाँ से जाना जरूरी है।" समीर ने अपनी बात खत्म की और शायद जेनिलिया उससे सहमत हो गयी।
समीर ने ट्रक के पीछे ढंका वो पलास्टिक उतारा। उसके उतरते ही समीर की आंखे फ़टी की फ़टी रह गयीं। जेनिलिया और जैनी भी एक दूसरे को ताकती रही। अफरा-तफरी में कुछ भूल गयीं थी वों दोनों।
.....जारी है....
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