बस इतनी ही आरज़ू थी कि कोई दिलरुबा मिले जो
भी मिले बस इक वफ़ा मिले ..
बस दिल का शुकूं मिले तू ही तू मिले अब इतनी आरज़ू है तू इम्तहां मिले
हर बार हो गुफ्तगूं हर बार
तू ही मिले..
जो वक्त आये जिंदगी का हर वक्त में तेरी आरजू है
मेरे हर खयाल में दिल के हर जुस्तजू में बस इतनी आरज़ू है कि तू ही तू मिले
मेरी हर बहार बनकर मेरी हर खुशी बनकर मेरे जन्नतें
ख्वाब तुम हो मेरी हर तलाश तुम हो मेरी हर चाहते हयात तुम हो..
बस इतनी ही आरज़ू है हर
बार तुम मिलो मेरी दिलरुबा तुम हो मेरे दिल की धड़कन तुम हो बस इतनी ही आरज़ू है कि तुम ही तुम मिलो ,,बस ही तुम ही तुम मिलो !!✍️📓
मुंबई (महाराष्ट्र )
स्वैच्छिक स्वरचित
सरिता मिश्रा पाठक" Kavyansha