मेरे शहर की हर बात निराली है कुछ खास हैं
कुछ नही फिर भी हर बात निराली है ,,
बहुत सी भाषाओं का
संगम है हैं सभी तरह के लोग लोकल ट्रेन लाइफ लाइन है ,,
रात भी जगती है यहां दिन
भी जगता है बड़े-बड़े तूफानों से भी नही है डरता
समंदर है यहां की पहचान
आमची मुंबई है मेरी जान..
मुंबई महाराष्ट्र
स्वरचित (स्वैच्छिक) मौलिक
*सरिता मिश्रा पाठक "काव्यांशा