तू जननी तू कल्याणी तू मां
है शेरोंवाली महिमा तेरी बड़ी निराली तू जननी तू
पालनहारी ,,
दुष्टों का तू संहार है करती
भक्तों पर तू कृपा है करती
तू जननी है जगत की माता
तुझको तो हरि विष्णु ब्रह्मा
हैं ध्याता
दानव सब थर-थर कांपे देवता सारे हैं सिमरन करते
तू है विश्व व्यापी तीनों लोकों की हो वासी..
तू जननी है तू है जगदम्बे
तू ही चंडी तू ही अम्बे..
भक्त कोई जब तुम्हें पुकारे
जननी तू नंगे पैरों से आये अपनी कृपा भक्तों पे
हो बरसाती.. तू जननी तू कल्याणी तू है मां शेरावाली
!!दोहा!!
तुम जननी हो जगत की तुम हो सबकी मां हर जननी की तुम जननी हो
हर जननी-जनक तुमको कहतें हैं मां ,,
जगत जननी हो तुम तीनों लोक में है व्यापी तुम्हारी अरम्पार महिमा ,,
"सरिता का है प्रणाम हे
जननी तुमको बारम्बार..
मुंबई महाराष्ट्र
स्वरचित (स्वैच्छिक) मौलिक
सरिता मिश्रा पाठक "काव्यांशा