यूँ तो हम तेरी भी अदाओं के कायल थे,
पर उनकी अदाओं ने दीवाना बना दिया.
खूबसूरती तेरी भी कोई कम तो नहीं थी,
उनकी ख़ूबसूरती ने तो दिल चुरा लिया.
तेरे संग तो बिताई थी शामे गुलशन में,
संग उनके आशियाँ गुलशन बना लिया.
साँस लेते थे तेरे दुप्पटे की छाव में आकर,
उनके दुप्पटे को तो कफ़न अपना बना लिया.
बिछड़ के तुमसे जब चले थे घर को,
मौत ने रस्ते में ही दामन में छिपा लिया.
ना हो सके तेरे इसका अब गम नहीं,
साथी मौत को हमने अपना बना लिया.(आलिम)