बहूत ख़ुशनसीब होंगे वो दीवाने, जिन्हें तुम्हारी मुस्कान मिल जाती होगी ।। उनकी शाम मस्तानी होती होगी, जिन्हें तुम्हारी एक झलक दिख जाती होगी ।। देख तुम्हे यूँ मुझे लगता है, तुम वो फूल हो जिसे पा
समर्पणमेरे समर्पण को मेरी दीवानगी ठहरा , आज तुम हँस लिए ,मगर ,यह वह आग है , जो अंधेरे को उजाले से मिला ही देगी।परमजीत कौर11 . 12 . 19
दीवानगी इश्क की इस कदर छाई ,ख़ुद ही ख़ुद से बेख़बर हो गए. बेख्याली में भी ख्याल उनका रहा, ख़्याल ख़ुद के से बेख़्याल हो गए. ख़ुद की जिंदगी भी उनकी हो गई, जिस्म तो है पर रूह नदारद हो गई. दिल धड़कता तो है मेरे सीने में मगर , दिल की धड़कने उनके नाम हो गई.(आलिम)