मन की बात
कभी कभी ऐसा लगता है की कोई हमारी सुनने वाला भी हो जो हमारा दोस्त हो ..हम उसको अपने मन की बात , व्यथा ,परेशानी या समस्या शेयर कर सकें.पर भरोसा किसी का नहीं किया जा सकता ..क्या ऐसा होता है.. तो फिर किसको कहें अपनी बात ..भले ही कोई हमारी समस्या का हल नहीं बता सकता पर जब हमारी बात सुन लेता है ऐसा लगता ह