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National-International at Linguist, Critic, Media-expert and an Eminent Author and Editor-in-chief at Working as an Editor,National-International at Linguist, Critic, Media-expert and an Eminent Author and Editor-in-chief at Working as an Editor

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अभिव्यक्ति-दंश

18 जुलाई 2019
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मेरी चित्रलेखा की खिलखिलाहट मुझे निमंत्रण कर रही हैअज्ञात प्यास-कुण्ड में निमग्न हो जाने के लिए।सम्मोहक शक्ति के संस्पर्श और संघर्षण मेरी देह के आचरण की पट-कथा लिख रहे हैं और मैं सूत्रधार के रूप मेंअपनी ही पराजय की पृष्ठभूमि सुना रहा हूँ। --- डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ०पृथ्वीनाथ

एक अभिव्यक्ति

18 जुलाई 2019
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जुल्म करके भी तुम मुकर जाते हो,ऐसी फ़ित्रत कहाँ से तुम लाते हो?दर्द का एहसास अब भी होता मुझे,जब मुश्किलात में ख़ुद को पाते हो।मेरा रहगुज़र अब कहीं दिखता नहीं,बूढ़े ज़ख़्म को अब क्यों दिखाते हो?उसकी कैफ़ीयत अब सवाल करती,उस शख़्स को भला क्यों सताते हो?कुछ लोग रस्सी को साँप बनाते यों ही,अपनी बातों में भला क्यो

देश की जनता के रुपयों पर कब तक 'ऐश' होता रहेगा?

18 जुलाई 2019
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हमारे देश के प्रधानमन्त्री कहते हैं : मैं 'जनता का सेवक' हूँ; मैं आप सबका 'प्रधान चौकीदार' हूँ; परन्तु विडम्बना देखिए, उनका काम 'चौकीदारी' का और मीडिया की सुर्ख़ियों में बने रहते हैं। यदि वे सचमुच, जनसेवक हैं तो संवैधानिक रूप में 'प्रधानमन्त्री' के स्थान पर 'प्रधान जनसेवक' कहलाने के लिए क्यों नहीं प्

सीखने-सिखाने की 'सामर्थ्य' जाग्रत कीजिए

18 जुलाई 2019
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डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय'भाषापरिष्कार-समिति'केन्द्रीय कार्यालय, इलाहाबाद शब्द : भारी बहुमत से; प्रचण्ड बहुमत से; बहुत भारी बहुमत से; भयंकर बहुमत से--------------------------------------------------------ये सभ

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