shabd-logo

एक अभिव्यक्ति

18 जुलाई 2019

101 बार देखा गया 101
featured image

जुल्म करके भी तुम मुकर जाते हो,

ऐसी फ़ित्रत कहाँ से तुम लाते हो?

दर्द का एहसास अब भी होता मुझे,

जब मुश्किलात में ख़ुद को पाते हो।

मेरा रहगुज़र अब कहीं दिखता नहीं,

बूढ़े ज़ख़्म को अब क्यों दिखाते हो?

उसकी कैफ़ीयत अब सवाल करती,

उस शख़्स को भला क्यों सताते हो?

कुछ लोग रस्सी को साँप बनाते यों ही,

अपनी बातों में भला क्यों भरमाते हो?


--- डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १६ जुलाई, २०१९ ईसवी)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की अन्य किताबें

अश्मीरा अंसारी

अश्मीरा अंसारी

बहुत सुन्दर रचना

19 जुलाई 2019

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए