मेरा नाम दुर्गेश दुबे है| मै दिल्ली में रहता हु | मेरा एक ही उद्देश्य है की स्वदेशी को अपनाते हुए भारत में पुनः वैदिक धर्म की स्थापना करना |
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जो भरा नहीं है भावो से बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं पत्थर है जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं