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मेरी प्रिय पंक्ति

28 जनवरी 2015

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​जो भरा नहीं है भावो से बहती जिसमे रसधार नहीं ​वो ह्रदय नहीं पत्थर है जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

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