किसी से मिला
ऑनलाइन नहीं
आमने सामने :
कुछ बातें हुईं
मुहँ से नहीं
आँखों से!
मिली आँख से आँख
बातें हुईं
कुछ बात ऐसी
बहने लगे आँसू
बरसे यकायक आँसू
दिन के बीच पहर में,
उसी के शहर में
ये सब हुआ
एक दिन यकायक.
कुछ क्षण मैं व्यस्त रहा!
उस क्षण का मिलन
वो क्षण क्या
ज़ी लिया पूरा जीवन,
फिर क्या?
यकायक मैं जगा
कुछ नहीं था ऐसा,
ये तो स्वप्न था
याद आया
यकायक एक दिन.
🖋Sachin Kumar Verma 🖋