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बेटियां क्यूं है पराई अमानत?

11 जनवरी 2022

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हरगिज़ है ये फ़ख़्र से सीना चौड़ा करने वाली बात,
बेटी सौंप दी कन्या-दान अदा करने की खातिर।

खून-पसीना खुद का बेच आया इक मजबूर बाप,
बेटीयों को विवाह के बंधन में बांधने की खातिर।

उस बाप से गरीब कोन है‌ जिसके घर बेटी हुई हो,
और खुद को गिरवी रख दे दहेज़ देने की खातिर।

इससे ज्यादा गिरी हुई बात और क्या हो सकती है,
कि विवाह रोक दिया दहेज़ न मिलने की खातिर।

ये न कहो "बाग़ड़ी" की बेटीयां पराई अमानत है,
बेटीयां होती हैं रिश्तों का स्तंभ बनने की खातिर।

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रचनाएँ
Bal Krishan Baghuri की डायरी
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इस किताब में, मैंने स्वयं रचित कुछ शे'र-ओ-शा'इरी को जगह दी है, ये तो मैं कह नहीं सकता कि बेहतरीन है क्योंकि ये फैसला तो पाठक गण को करना है, मैंने मेरी तरफ से कोई कोर-ओ-क़सर नहीं छोड़ी। अपने अनूठे अनुभव से मुझे प्रेरित करें ताकि और अच्छा लिख सकूं।
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खौफ़-ए-बवा

11 जनवरी 2022
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मुश्किल तो था अपने आप को अपनों ही से दूर रखना, मगर ख़ौफ़-ए-बवा ने सिखाया के फासला जरूर रखना। कौन चाहता है खुद को खुद ही के घर में क़ैद करना, बवा से हुआ मयस्सर खुद को खुद का असीर रखना। अपने तो अपने

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बेटियां क्यूं है पराई अमानत?

11 जनवरी 2022
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हरगिज़ है ये फ़ख़्र से सीना चौड़ा करने वाली बात,बेटी सौंप दी कन्या-दान अदा करने की खातिर।खून-पसीना खुद का बेच आया इक मजबूर बाप,बेटीयों को विवाह के बंधन में बांधने की खातिर।उस बाप से गरीब कोन है‌ ज

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खौफ़-ए-बवा

20 मार्च 2022
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किसी के आसेब ने इस क़दर कब्जा कर लिया,जैसे बाज़ ने उड़ते परिंदे पर कब्जा कर लिया।हवा में ज़हर ही ज़हर फिका रहा फजा का रंग,ये किस ने आब-ओ-हवा पर क़ब्जा कर लिया।अंधेरों की ख़ुश-मिजाज को कैसी आदत लगी,उजा

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