किसी के आसेब ने इस क़दर कब्जा कर लिया,
जैसे बाज़ ने उड़ते परिंदे पर कब्जा कर लिया।
हवा में ज़हर ही ज़हर फिका रहा फजा का रंग,
ये किस ने आब-ओ-हवा पर क़ब्जा कर लिया।
अंधेरों की ख़ुश-मिजाज को कैसी आदत लगी,
उजालों के कहकशां ने कैसा मज्मा कर लिया।
खुद माली हो चोर फिर शिक़ायत क्या करेगी,
बाड़ खेत खाए तो फिर क़र्ज़ अदा कर लिया।
ख़ुद को खुद ही से डर सा लगने लगा 'बाग़ड़ी'
ख़ुद में खुद ही के आसेब ने कब्जा कर लिया।