shabd-logo

खौफ़-ए-बवा

20 मार्च 2022

25 बार देखा गया 25
किसी के आसेब ने इस क़दर कब्जा कर लिया,
जैसे बाज़ ने उड़ते परिंदे पर कब्जा कर लिया।

हवा में ज़हर ही ज़हर फिका रहा फजा का रंग,
ये किस ने आब-ओ-हवा पर क़ब्जा कर लिया।

अंधेरों की ख़ुश-मिजाज को कैसी आदत लगी,
उजालों के कहकशां ने कैसा मज्मा कर लिया।

खुद माली हो चोर फिर शिक़ायत क्या करेगी,
बाड़ खेत खाए तो फिर क़र्ज़ अदा कर लिया।

ख़ुद को खुद ही से डर सा लगने लगा 'बाग़ड़ी'
ख़ुद में खुद ही के आसेब ने कब्जा कर लिया।

Bal Krishan Baghuri की अन्य किताबें

3
रचनाएँ
Bal Krishan Baghuri की डायरी
0.0
इस किताब में, मैंने स्वयं रचित कुछ शे'र-ओ-शा'इरी को जगह दी है, ये तो मैं कह नहीं सकता कि बेहतरीन है क्योंकि ये फैसला तो पाठक गण को करना है, मैंने मेरी तरफ से कोई कोर-ओ-क़सर नहीं छोड़ी। अपने अनूठे अनुभव से मुझे प्रेरित करें ताकि और अच्छा लिख सकूं।
1

खौफ़-ए-बवा

11 जनवरी 2022
1
0
0

मुश्किल तो था अपने आप को अपनों ही से दूर रखना, मगर ख़ौफ़-ए-बवा ने सिखाया के फासला जरूर रखना। कौन चाहता है खुद को खुद ही के घर में क़ैद करना, बवा से हुआ मयस्सर खुद को खुद का असीर रखना। अपने तो अपने

2

बेटियां क्यूं है पराई अमानत?

11 जनवरी 2022
0
0
0

हरगिज़ है ये फ़ख़्र से सीना चौड़ा करने वाली बात,बेटी सौंप दी कन्या-दान अदा करने की खातिर।खून-पसीना खुद का बेच आया इक मजबूर बाप,बेटीयों को विवाह के बंधन में बांधने की खातिर।उस बाप से गरीब कोन है‌ ज

3

खौफ़-ए-बवा

20 मार्च 2022
2
0
0

किसी के आसेब ने इस क़दर कब्जा कर लिया,जैसे बाज़ ने उड़ते परिंदे पर कब्जा कर लिया।हवा में ज़हर ही ज़हर फिका रहा फजा का रंग,ये किस ने आब-ओ-हवा पर क़ब्जा कर लिया।अंधेरों की ख़ुश-मिजाज को कैसी आदत लगी,उजा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए