एक दरवेश मेरे जिस्म को छू कर बोला...
क्या अजीब लाश है साँस भी लेती है...😊😊
मयखाने में गिरता तो खुद ही उठ जाता_साहब
मोहब्बत में गिरा हूँ अब तो खुदा ही_उठाएगा...🙏🙏
एक ये दौर है, कि हमको गुमनामी पसंद है!
एक वो वक्त था, कि सारा शहर जानता था हमको!!
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का!
तो बड़ी सादगी से कहतें हैं कि मजबूर थे हम।
अपने जख्मों की सबके सामने नुमाईश ना कर
कि देंगे तुझे सब मरहम तू इसकी ख्वाहिश ना कर..😊😊
मैं शायर कहा हूँ मैं तो कैद हूँ उस की मोहब्बत मैं..!!
बस जब याद आती है उसकी तो कुछ लफ्ज़ सीधे करता हूँ..!!
सो रहेंगे के जागते रहेंगे
हम तेरे ख्वाब देखते रहेंगे
तू कही और ही ढूंढता रहेंगा
हम कही और ही खिले रहेंगे
राहगीरों ने राह बदलनी है
पेड़ अपनी जगह खड़े रहेंगे
सभी मौसम है दस्तरस में तेरी
तूने चाहा तो हम हरे रहेंगे
लौटना कब है तूने पर तुझको
आदतन ही पुकारते रहेंगे
तुझको पाने में मसअला ये है
तुझको खोने के वस्वसे रहेंगे
तू इधर देख मुझसे बाते कर
यार चश्मे तो फूटते रहेंगे
एक मुद्दत हुई है तुझसे मिले
तू तो कहता था आते रहेंगे
यूं ना करो तुम हमसे शराबों की बातें
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,,,,,जितनी आजकल तुम पीते हो"
उतनी हम ग्लास में छोड़ आते है....!!
एक साथ चार कंधे देख कर ज़हन में आया.!
एक ही काफी था, गर जीते जी मिला होता.!!..
छीन कर हाथों से जाम़, वो इस अंदाज़ में बोले।
क्या कमी है इन होठों में, जो तुम शराब पीते हो।।
अब तो यह आलम है कि तंहाई से तंग आकर
हम ख़ुद ही दरवाज़े की "जंज़ीर" हिला देते हैं
तुमसे बात करना
मेरी तलब नहीं
ना ही शौक़ है मेरा
ये जरूरत है मेरी
मेरे वजूद को बिखरने से
बचाये रखने के लिए
तुम्हारी आवाज़
मुझे तुम्हारे करीब होने का
एहसास कराती है
अलग अलग जगह रहते हुए भी
मीलों की दूरियों के बावजूद भी
हम एक दूसरे के बेहद करीब होते हैं, हमेशा
हर पल, हर लम्हा अपने शब्दों के माध्यम से
तुम्हारी आवाज़
तुम्हें मेरे क़रीब होने का एहसास कराती है
तुम्हारी बातों से
ज़िन्दगी जीने का
हौसला मिलता है मुझे
साथी मेरे
कहतें हैं प्रेम में अल्फाज़ो का क्या काम?
प्रेम मौन में महाकाव्य है
पर तभी, जब रूबरू होके
निग़ाहों से बातें हो सकें
हमारे पास तो
तुम्हें महसूस कर पाने का
एकमात्र जरिया ही तुम्हारी आवाज़ है
सुनो
कहीं भी रहना, कितनी भी दूर रहना
बस आवाज भर की दूरी पर ही रहना
Fake love p ✍✍