वह वह रे मौज़ फकीरा दी
वह वह रे मौज़ फकीरा दी
कभी तो खाए चना-चावेना
कभी लापटा लेवे खीरा दी
वह वह रे मौज़ फकीरा दी
वह वह रे मौज़ फकीरा दी
कभी तो ओढे शाल -दुशाला
कभी गुदड़ी-फटीया भीडा दी
वह वह रे मौज़ फकीरा दी
वह वह रे मौज़ फकीरा दी
कभी तो सोवे राजमहल में
और कभी तो गली अहिरा दी
वह वह रे मौज़ फकीरा दी
वह वह रे मौज़ फकीरा दी
--- संत ---