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"एक" ही है

30 नवम्बर 2015

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मे तुझे देखू , तू मुझे देख 

देखते देखते दोनों हो जाये एक 

 नज़रो ने नज़र से मुलाक़ात कर ली 

 रहे दोनों खामोश और बात कर ली

                बस मेे और तू दोनों "एक" ही है

                                  ---सूफी---
ऋ षि  गौड़

ऋ षि गौड़

बहुत बहुत आभार वर्तिका जी

4 दिसम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

बुजुर्गों का आशीर्वाद और स्नेह हमारे साथ हमेशा बना रहें!

2 दिसम्बर 2015

ऋ षि  गौड़

ऋ षि गौड़

धन्यवाद प्रियंका जी

1 दिसम्बर 2015

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

बहुत अच्छा देख कर की आप जैसे लोग है जो बड़े बुज़ुर्गों का इतना ख्याल रखते हैं .

1 दिसम्बर 2015

ऋ षि  गौड़

ऋ षि गौड़

meri sabse badi maa ammaa

30 नवम्बर 2015

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रचनाएँ
darke
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कही लिखा होगा कही पढ़ा होगा कही कहा होगा कही सुना होगा
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प्रज्ञा अपराध

30 नवम्बर 2015
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प्रज्ञा अपराध अर्थातः  सरस्वती का अपराध करना किसी का विचार अपने नाम लिखना किसी के चिंतन को अपने नाम बहा देना प्रज्ञा अपराध है                                                                                                                           --- शास्त्र ---

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"एक" ही है

30 नवम्बर 2015
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मे तुझे देखू , तू मुझे देख देखते देखते दोनों हो जाये एक  नज़रो ने नज़र से मुलाक़ात कर ली  रहे दोनों खामोश और बात कर ली                बस मेे और तू दोनों "एक" ही है                                  ---सूफी---

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नेम (नियम)

4 दिसम्बर 2015
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नेम जगावे प्रेम को प्रेम जगावे जीव जीव जगावे शूरता शूरता जगावे शिव                          तपेि सूरज से मिलते है                          तपना ज़मी को होता है                          निगाहे प्यार करती है                          तड़पना दिल को होता है तू तू करता तू भया तुझमे रहा ना तू वारी फेरी मे गय

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सूरज

6 दिसम्बर 2015
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सूरज रे जलते रहना सूरज रे जलते रहना                          करोडो की जिंदगी के लिए                           जगत की रोशनी के लिए सूरज रे जलते रहना सूरज रे जलते रहना                            लिखा है तेरे ही भाग्य में                            की तेरा जीवन रहे आग में सूरज रे जलते रहना सूरज रे जलते

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फकीरा

6 दिसम्बर 2015
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वह वह रे मौज़ फकीरा दी वह वह रे मौज़ फकीरा दी                                कभी तो खाए चना-चावेना                                 कभी लापटा लेवे खीरा दी वह वह रे मौज़ फकीरा दीवह वह रे मौज़ फकीरा दी                                कभी तो ओढे शाल -दुशाला                                 कभी गुदड़ी-फटीया भीड

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