कितना अच्छा लगता है फ़ौज़ के लोगों की तारीफ़ करना, उनकी देशभक्ति का सम्म्मान करना. उस फ़ौज़ियों की वजह से ही हम अपने घरों में आराम से सुरक्षा के साथ रह सकते है अगर वो ना हो तो कोई भी दुशमन मुल्क हमला कर सकता है और हमें गुलाम बना सकता है. फ़ौज़ें मुल्क की रक्षा के लिए होती है. फ़ौज़ किसी भी मुल्क की हो वो मुल्कपरस्त होती है, मुल्कपरस्त कहना शायद अच्छा नहीं होगा, इसके लिए देशभक्त शब्द ज्यादा बेहतर होगा, क्योकि किसी भी वस्तु की परस्ती एक कमज़ोरी है या कमज़ोरी मानी जाती है. फ़ौज़ के सामने सत्य या असत्य, धर्म या अधर्म नहीं होता उसके सामने जंग होती है और उसके लिए सिर्फ जंग जीतना ही उसका मक़सद होता है. वो यह नहीं सोचता की इस जंग के जितने से उसके मुल्क के लोगो का क्या भला होगा या हारने वाली फ़ौज़ के मुल्क का क्या होगा. उसका जंग में कोई अपना निर्णय इस बात के लिए नहीं होता कि वो धर्म के साथ है या अधर्म के साथ वो सिर्फ एक फौज़ी होता है और अपने अफ़सर का आदेश ही उसका धर्म है. महाभारत में द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, कर्ण यहाँ तक कि कौरवो की सेना का हर कोई जानता था कि वो धर्म के ख़िलाफ़ युद्ध कर रहा है फिर भी वो लड़ते रहे. इसलिए फौज न तो धर्म के लिए लड़ती है और ना ही सत्य के लिए वो सिर्फ लड़ती है तो अपने ऊपर के अधिकारी के आदेश पर. और उस अधिकारी के आदेश को ही देशभक्ति मान लिया जाता है. एयर कंडीशन में बैठकर देशवासी फौजियों की तस्वीरें लगा देशभक्ति के गीत लिखते है और ख़ुद को देशभक्त मानते है? फौज या फौजियों के बारे में जानना है तो सरहद पर जाकर उनसे मिलये, उनके गांव जाकर उनके परिवार वालो से मिलये, यूँ घर बैठ कर , उनकी तस्वीरों का सम्मान मत कीजिये सम्मान करना है तो ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कीजिए जहाँ जंग ना हो और वो भी अपने बच्चो और परिवार के साथ रह सके, दूसरों की बलिदानी पर अपने घर बैठ कर सोशल मिडिया पर उनका सम्मान करने की वजाये उनके परिवार की खुशहाली के लिए काम कीजिये एक अच्छा माहौल बनाने की कोशिश कीजिए जहाँ जंग ना हो, और फिर भी यदि जंग का इतना ही शौक है तो लिखने या तस्वीरें लगाने की वजाये ख़ुद और ख़ुद के बच्चों को भी जंग में भेजिए. फ़ौज़ की भर्ती पर जाओ और पूछो कि वो क्यों फौज में भर्ती होना चाहते है? दिल से शायद ही कोई कहे कि देशभक्ति के लिए वरना सब अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए फौज में भर्ती होते है, वरना ऐसी क्या बात है कि गरीब के बेटे में ही देशभक्ति है बड़े उद्योगपतियों के बेटे में नहीं? लड़ाकू विमान बनाने के लिए तो खूब देशभक्ति है पर अपने बेटे को फौज में भर्ती करने के लिए नहीं है? क्योकि गरीब के बेटे को देश सम्हालना और और उद्योगपतियों के बेटों को उद्योग. एक नेता ने तो कभी यह भी कहा था कि इस देश का व्यापारी फौजियों से ज्यादा खतरा उठाता है ?देशभक्ति सिर्फ फौज में भर्ती होने से नहीं बल्कि देश के लोगों के लिए काम करने से होती है. फ़ौज़ी अपना काम कर रहे है उसपर अपनी राजनीति मत करो. लेकिन जब फौजी ही राजनीति करने लगे तब क्या होगा? फौज में भर्ती दो तरह से होती है एक सरहद पर लड़ने वालों के लिए जिसमे सिर्फ़ ग़रीबों के बच्चे जाते है और एक अफसरों की जो मिडिल और ऊपर के मिडिल क्लास के लोंगो के बच्चे जाते है. दोनों में बहुत फर्क है एक मरता है तो उसका नाम भी पता नहीं चलता और दुसरा मरता है तो उसे सम्मान मिलता है. क्या देखा की जब जंग में सैंकड़ो लोग मरते है तो कितनो को उन सबके नाम याद होते है? लेकिन कोई अफसर मरता है तो उसका नाम हरेक की जुबां पर होता है. यह आज का सच नहीं है यह सच तो महाभारत और रामायण काल में भी था. महाभारत में याद किये जाने वाले लोग सभी राजवंश के थे और उस युद्ध में लाखों लोग मरे उनका तो कोई नामों निशाँ ही नहीं है.
फौजी को समझना है तो उसकी मनस्थति को पढ़िए, जब वो युद्ध पर जा रहा होता है. क्या सोचता होगा अपने परवार के बारे में ? अपने बूढ़े माँ-बाप के बारे में? अपनी बहनों और भाइयों के बारे में? अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में? अपने बारे में सोचने की तो उसे फुर्सत ही नहीं होती होगी? जंग पर ना जाने की इच्छा तो वो रख ही नहीं सकता क्योकि ऐसे में उसे देशद्रोही मान लिया जाएगा और उसका कोर्ट मार्शल हो जाएगा. लोग घर बैठ कर जितने का जश्न मनाएंगे, और मरने वाले फौजी के घर के लोग मातम मनाएंगे. मोहन राकेश ने इस विषय पर नाटक लिखा जिसमे एक माँ और एक कुंवारी बहन अपने भाई की चिट्ठी आने का इंतज़ार कर रही है क्योकि उस बूढी माँ का एकलौता बेटा बहन की शादी के पैसो की खातिर फौज में भर्ती होता है और बर्मा लड़ने जाता है, माँ सपने में देखती है कि उसका बेटा घायल घर आया है और माँ से कह रहा है कि माँ मुझे छिपा ले नहीं तो दुशमन का सिपाही मुझे मार डालेगा. तभी दूसरा सिपाही आता है और कहता है कि कहाँ है तेरा बेटा उसे मेरे हवाले कर दे मैं उसे मार दूंगा, माँ पूछती है तू क्यों उसे मारेगा? ( आगे अगले लेख भाग 2 में, आलिम)