ख्वाहिशें तो बस ख्वाहिशें ही होती है ,
बदल जाए गर हकीकत में तो मर जाती है.
ख़्वाब को ख़्वाब ही रहने दो तो अच्छा है,
हक़ीक़त में बदले ख़्वाब कुछ अच्छे नहीं लगते.
तस्वीर में आफ़ताब भी क्या खूब लगता है,
तपा दे तो ख़ुद की तस्वीर भी जला देता है.
दूर से तो चाँद भी क्या खूब दिखता है,
वगरना चाँद भी बस मिटटी का गोला है. (आलिम)