🔥🔥 बेबात जलन 🔥🔥ब्याह किये मुझसे,माँ-बाप के संग बैठ समय-जाया करते हो!माना आँचल पाया माँ का,मुझको अवहेलित तुम करते हो!!पिता ने पढ़ा-लिखा जॉब दिलाया,माँ को सैलरी भी देते हो!मेरी भी कुछ हैं जरुरते,मायके भी जाने नहीं मुझे देते हो!!माँ ने खीर जली बना लाई,चाट कर- कटोरी साफ करते हो!मैंने रोटी चुपड़ दाल सं
🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞"बचपन" से हीं जिस वीर शिवा ने सुनेतृत्व निभाया!युद्ध - चक्रव्युह रच मिट्टी -बालू के कीले पर ध्वज फहराया!!🎌🎌🎌🎌🎌🎌🎌१६ साल का तरुण ने, पुणे के तोरण दुर्ग पर परचम् लहराया!बीजापुर के आदिलशाह को लोहे के चने वीर शिवा चबवाया!!⛺🎪⛺🎪⛺🎪⛺🎪⛺प्रपंच से पिता शाह को बंदी कर,शिवा का क्र
भगुआ वस्त्र धारण कर साधु नहीं बन कोई सकता। जीव को प्रिय है प्राण, हंता नहीं साधु बन सकताअहिंसा का पाठ तामसिक वस्त्रधारी पढ़ा नहीं सकता।सात्विक बन कर हीं कोई सच्चा साधु बन भगुआ धारण कर सकता।।डॉ. कवि कुमार निर्मल
DOGMA NO MORE MOREपरंपरा अंधविश्वास का पुष्ट कारण भी हो सकता है।मेरे पुर्वजों ने चुंकि ऐसा किया,अतयेव मुझे भी करना चाहिए---गलत है।उस समय की अवस्था क्या 【?】 थी,यह उनके सामयिक सिस्टम के अनुकूलऐसा कुछ हो रहा होगा, परन्तु आज वहगलत भी हो सकता है, गलत है सरासर- समय के प्रतिकूल।"सती प्रथा" कभी धर्मिक मान्य