"राधा भाव और कृष्ण"माधुर्य भाव तीव्र हो,जब आकर्षित करता है!राधा भाव में भक्त जबभाव-विभोर होता है!!बिछोह क्षण-मात्र का भीवह सह नहीं सकता है!तिश्णा से शुष्क हो,क्षुब्द बहुत वह तब होता है!!तन-मन अवसान-शोकग्रषस्त,मृत प्राय: वह हो जाता है!व्याकुल-आकुल हो,मृग-तृष्णा सापीड़ादायक होता है!!कृष्ण प्राण-केन्द
रंगारंग क्रांति का पंचम चहुंओर लहरायाशंखनाद् गुँजायमान्, विह्वल मन हरषायाआनंद परिवार" का सुखद् युग है आयागुलाल-अबीर का खेल, बहुव्यंजन भी बहुत हींरे! भायात्रस्त मानवता देख विद्रोही कवि क्रांतिमय गद्य ले आया🔥🔥 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥सत् युग, द्वापर, त्रेता एवम् कलियुग ये चारों व्यक्तित्व केrefl
भगुआ वस्त्र धारण कर साधु नहीं बन कोई सकता। जीव को प्रिय है प्राण, हंता नहीं साधु बन सकताअहिंसा का पाठ तामसिक वस्त्रधारी पढ़ा नहीं सकता।सात्विक बन कर हीं कोई सच्चा साधु बन भगुआ धारण कर सकता।।डॉ. कवि कुमार निर्मल