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प्रबंधक :- स्टार्किंग ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन

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मेरे गावँ का इतिहासःप्रेम प्यार के दरिये बहते आपस मे जन मेल है,,,, आधुनिक से चलन यहां पर होकी जैसे खेल है,,,, शाहजहाँपुर नगरी का भी इतिहास सुहाना लगता है,,, मुगल बादशाह बसा गये अंदाज पुराना लगता है,,, इस नगरी के पूर्व मे एक नारेहडा तालाब है,,,, और पश्चिम मे रायसर जोहड बेमिशाल है,,,, उतर मे वृंदावन और भैरु जी का स्थान है,,,, दक्षिण मे जोधा बाबा से पावन संत महान है,,,, सरकारी विद्यालय और मैदान खेल का भारी है,,,,, होस्पिटल आयुष भवन देखो कितने हितकारी है,,, ,पहला है विज्ञान नगर गौरवशाली पहचान मेरी,,,,, है राष्ट्रीय राजमार्ग यहां जैसे जन जन की हो जान मेरी,,,, है ये मेरा सौभाग्य यहां इस नगरी मे मैने जन्म लिया,,,, इस की माटी मे खेला और इस नगरी का दूध पिया,,,, उपकार हजारों नगरी के कैसे उतरेगा भार मेरा,,,,, मै मिट भी जाऊ लाख मगर कैसे भूलू सत्कार तेरा,,,,, पूर्व मे श्याम सलौने की कृपा का कैसे भार चुके,,,, कैसे बाजार के शिवजी का पल पल मिलता वो प्यार चुके,,,, मस्जिद की हर अजान यहां सदभाव हमे सिखलाती है,,,, मन्दिर की घण्टी शंखनाद भक्ति का मार्ग दिखाती है,,,,, गोपालदास से संत यहां भटको को राह दिखा

28 जनवरी 2015
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मेरे गावँ के बारे में कुछ लाइन हैं

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