कभी हमारे देश को सोने कि चिडिया के नाम से जानते थे, लेकिन गुलामी और विदेशी शासक ने राज किया और देश का खाली कर दिया था,,, देश पर राम, रहीम, ने मानव रूप लेकर जन्म लिया है,, यह देश हमारा भारत है ।।। भारत को हम इंडिया, हिंदुस्तान, हिंद के नाम से पुकारते
सितंबर माह की डायरियों का संग्रह
शोर... अंतर्मन का कोलाहल या कहें की शून्यता, बाहर की अव्यवस्थित व्यवस्था से अलग, चिंतित मन का व्यथित लेकिन व्यवस्थित सुर है जो किसी भी इंसान को जीने की वजह भी देता है और जीने का उद्देश्य भी लेकिन आख़िर यह शोर पनपता ही क्यूँ है? कौन सही है, कौन गलत? कौ
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मानव सभ्यता के इतिहास का निर्माण कुछ ऐसे असाधारण व्यक्तियों ने किया है, जो मानव जाति की स्मृतियों में सदा-सदा के लिए अमर हो गए हैं। ऐसी असाधारण हस्तियों के बगैर हम एक विकसित दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते। संसार के ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कोई सूची न
धर्म तो गूंगे का गुड़ है; जिसने स्वाद लिया, वह गूंगा हो गया। उसे बोलना मुश्किल है, बताना मुश्किल है। उस संबंध में कुछ भी कहने की सुगमता नहीं है। जो कहे, समझ लेना उसने जाना नहीं है।बुद्ध भी बोलते हैं, लाओत्से भी बोलता है, कृष्ण भी बोलते हैं। लेकिन जो
श्रीराम हमारे लिए एक ऐसा व्यक्तित्व हैं जिन्हें हम भारतवासियों ने बहुत समय से भगवान के रूप में माना और समझा है। उनके दिव्याचरण, धर्मानुकूल मर्यादित व्यवहार और चरित्र के दिव्य गुणों के कारण हमने उन्हें इस प्रकार का सम्मान प्रदान किया है। इस पुस्तक में
जब महर्षि दयानंद जी महाराज 'वेदों की ओर लौटो' का उद्घोष कर रहे थे तो उनके उद्घोष का अभिप्राय अपने स्वर्णिम अतीत की ओर लौटने से था अर्थात अपने स्वर्णिम इतिहास को खोजकर उसे वर्तमान में स्थापित करने का संकल्प दिलाने के लिए हम भारतवासियों को उन्होंने यह
Baba Ramdev Ke Sapno Ka Bharat Read more
फ़क़ीराना अंदाज़ शिर्डी साईबाबा के जीवन पर आधारित एक विशिष्ट उपन्यास है। हिंदी साहित्य में साईबाबा के जीवन पर यह पहला उपन्यास है। इसमें साईबाबा के जीवन के माध्यम से प्रेम के विराट स्वरूप को देखने का प्रयास किया गया है, उस प्रेम को जिसे कई बार लोग अनि
Antartam Ki Khoj Read more
अष्टावक्र की गीता को मैंने यूं ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है। बहुत देर करके चुना है- सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कृष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ के लिए अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ न था।बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड
Ashtavakra Mahageeta Bhag-V Sannate Ki Sadhna Read more
Ashtavakra Mahageeta Bhag - 6: Na Sansar Na Mukti Read more
'जीवन तो जैसा है वैसा ही रहेगा। वैसा ही रहना चाहिए। हां, इतना फर्क पड़ेगा... और वही वस्तुतः आमूल क्रांति है। आमूल का मतलब होता है : 'मूल से'। ...आमूल क्रांति का अर्थ होता है : जो अब तक सोये-सोये करते थे, अब जाग कर करते हैं। जागने के कारण जो गिर जाएगा
Ashtavakra Mahageeta Bhag - 9: Anumaan Nahin Anubhav Read more
Kaha Kahun Us Desh Ki Read more
हर पुरुष जीवन भर कहीं बच्चा ही बना रहता है और हर नारी चाहे बच्ची ही क्यों न हो हमेशा माँ बनी रहती है।नारियों को सम्मानित करने के लिए यह कहना ही पर्याप्त है कि उनका शरीर वह महान मूमि है जो अव्यक्त आत्मा को भौतिक शरीर के माध्यम से व्यक्त करने का महान क