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"गीत"

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आधार छंद - सरसी (अर्द्ध सम मात्रिक) शिल्प विधान सरसी छंद- चौपाई + दोहे का सम चरण मिलकर बनता है। मात्रिक भार- 16, 11 = 27 चौपाई के आरम्भ में द्विकल+त्रिकल +त्रिकल वर्जित है। अंत में गुरु /वाचिक अनिवार्य। दोहे के सम चरणान्त में 21 अनिवार्य है"गीत" लहराती फसलें खेतों की, झूमें गाँव किसानबरगद पीपल खलिहा

मापनी- 2222 2222 2212 121, मुखडा समान्त- अर, पदांत- आस"गीत" चल री सजनी दीपक लेकर भर दे डगर उजासआगे-आगे दिन चलता है अवनी नजर आकाशगिन दश दिन तक राम लड़े थे रावण हुआ निढ़ालबीस दिनों के बाद अयोध्या दीपक पहर प्रकाश....चल री सजनी दीपक लेकर भर दे डगर उजासलंका जलती रही धधककर अंगद का बहुमानबानर सेना विजय पुकार

मापनी - 22 22 2222"गीत"कितना सुंदर मौसमआया साथी तेरा साथसुहायापकड़ चली हूँ तेरीबाहेंआँचल मेरा नभलहराया।।रहना हरदम साथ हमारेशीतल है कितनी यहछाया।।नाहक उड़ते विहगअकेलेमैंने भी मन कोसमझाया।।दूर रही अबतक छविमेरीआज उसे फिर वापसपाया।।चँहक रही हूँ खेलरही हूँसाजन तूने मनहरषाया।।गौतम तेरा बाग खिलाहैभौंरा सावन

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