लेख
आज मैं बहुत खुश हूं क्योंकि कल अध्ययन के दौरान मुझे एक ऐसे शोध का पता चला जो मेरे शोध स्त्री तंत्र की व्याख्या को पूर्ण रूप से सही सिद्ध करता है।
कल अध्ययन के दौरान गिद्धों पर हुए शोध का अध्ययन कर रही थी गिद्धों की बहुत सारी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कुछ लुप्तता के कगार पर हैं, इसी के चलते वैज्ञानिकों द्वारा उनकी प्रजाति में मादा जाति में होने वाले परिवर्तन और उनके द्वारा बच्चों को जन्म देने की बदलती प्रक्रिया का बहुत विस्तार पूर्वक अध्ययन किया गया शोध के अनुसार मादा गिद्ध प्रजनन के लिए उन नरों को प्रक्रिया में शामिल नहीं करती जो किसी प्रकार से अयोग्य होते हैं यानी प्रजनन की प्रक्रिया में शामिल होने वाले नरों के लिए मादा की तरफ से प्रथम शर्त पूर्ण रूप से योग्य होने की ही होती है यदि नरगिद्ध किसी प्रकार से अयोग्य प्रतीत होते हैं तो मादा गिद्ध उनके साथ प्रजनन की प्रक्रिया को अंजाम नहीं देती चाहे उनकी प्रजाति विलुप्तता के कागार पर ही क्यों ना पहुंच जाए बल्कि बीते समय के साथ कुछ मादाएं अपने अंदर ऐसी शक्ति उत्पन्न कर लेती है कि उन्हें किसी नर्गिद्ध के साथ प्रजनन प्रक्रिया से गुजरे बिना ही नवजात गिद्धों के जन्म का अधिकार मिल जाता है। इस शक्ति के आधार पर वे नई प्रजाति को जन्म देती हैं। शोध के अनुसार यह भी बताया गया कि छिपकली, रे, शार्क आदि कुछ प्रजातियों में तथा टर्की, मुर्गी चाइनीस पेटेंड क्लेव आदि में यह खूबियाँ मिलती है कि यदि प्रजाति के नर अयोग्य है तो वे बिना नर के बच्चों को जन्म दे सकती है।
अपने किए गए शोध की बात के साथ गिद्धों पर किए गए शोध को लिखने से लेख बहुत बड़ा हो जाएगा इसलिए इस पोस्ट के बाद उस शोध की पोस्ट भी मैं पटल पर डालूंगी फिलहाल में बात करती हूं अपने द्वारा किए गए स्त्री तंत्र की व्याख्या के शोध की जो मैंने इसी बात को आधार बनाकर किया है कि संसार की संपूर्ण स्त्री जाति में इतनी शक्ति होती है कि वह बिना नर के बच्चों को जन्म दे सकती है संपूर्ण स्त्री जाति में मानव भी आते हैं मानव में स्त्री जाति को बहुत समय से लगभग 2500 साल से बंधन और नियमों के अंतर्गत पाला जा रहा है जिसके कारण उनकी अपनी शक्तियां विस्मित हो गई है जिस तरह गिद्धों की प्रजातियां विलुप्त हो रही है जब मैंने यह बात पटल पर रखी थी कि स्त्री में इतनी शक्ति है कि वह बिना किसी नर की सहायता की अपने बल पर बच्चे को बना सकती है, और उसे जन्म दे सकती है तो कई अल्पज्ञों ने विरोध प्रदर्शन किए थे मेरे वक्तव्य पर क्योंकि उन्हें नहीं पता कि मैं अपना अध्ययन कैसे और किस प्रकार करती हूं। गिद्धों पर किए जाने वाला यह शोध पूरी तरह मेरी कहीं एक एक बात को सही साबित कर रहा है यहां पर कुछ प्रजातियों की मादाओं का जिक्र किया गया है लेकिन मेरा दावा है कि संसार की संपूर्ण स्त्री जाति में इतनी शक्ति होती है कि वह बिना नर के नई प्रजाति अपने अंदर बना भी सकती है और उसे पैदा भी कर सकती है किसी हेड लाइन पर मेरे स्त्री तंत्र की व्याख्या का शोध बेस्ड है।
मेरे लिए यह एक बहुत गौरवान्वित पल है कि मैं भारत में पली-बढ़ी हुई हूं इसलिए ही मैं इस विषय पर शोध कर पाए और भारत में खासकर उत्तर भारत में पारिवारिक नियमों के चलते यह मेरा दुर्भाग्य है कि मैं एक स्त्री हूं इसलिए अपने किए गए शोध पर में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल नहीं कर पाई और ना ही अपने वक्तव्य को पेटेंट करा पाई
मेरे अनुसार सारे संसार में स्त्री जाति एक ऐसा प्राकृतिक नियम है जो सृजन क्षमता लेकर इस धरती पर उत्पन्न हुआ है इस सृजन क्षमता के साथ-साथ उसे निर्माणकर्ता की पदवी पर निर्णायक और चयनकर्ता की भूमिका भी निभानी है जिसके चलते वह संसार में समस्त प्रजातियों को विकसित करते हुए उत्पन्न कर सके लेकिन मानवों में यह अधिकार स्त्री जाति से छीन लिए गए हैं जिसके कारण मानव जाति लगातार विनाश की ओर जा रही है। बाकी जब मैं गिद्धों पर किया गया शोध पोस्ट बनाकर डालूंगी तो समझने वालों को सारी बातें खुद ब खुद समझ में आ जाएगी।
*श्रीमती दीपिका महेश्वरी सुमन (अहंकारा) संस्थापिका सुमन साहित्यिक परी नजीबाबाद*