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एक गीत

15 अक्टूबर 2016

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प्यार भरी हैं नज़र तुम्हारी, रातें आंखों में समाई,

माथे पर जैसे सृष्टि, इतनी सोच में गहराई,

देखो सबकी काया-काया दर्पण हैं,

प्रेम नहीं है तो कहों क्या जीवन हैं!


रुप, कि आगे पानी-पानी हो जाएं जवानी,

बालपन कि पुस्तक में परियों जैसी रानी!

जिनपे चलते जाएं, वो राहें पावन हो जाएं,

पत्थर-पत्थर मांगे पानी,मिट्टी पागल हो जाएं!


दिल जिसकी पगधूलि पर अर्पण हैं,

प्रेम नहीं है तो कहों क्या जीवन हैं!


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प्यार भरी हैं नज़र तुम्हारी, रातें आंखों में समाई, माथे पर जैसे सृष्टि, इतनी सोच में गहराई, देखो सबकी काया-काया दर्पण हैं,प्रेम नहीं है तो कहों क्या जीवन हैं! रुप, कि आगे पानी-पानी हो जाएं जवानी,बालपन कि पुस्तक में परियों जैसी रानी! जिनपे चलते जाएं, वो राहें पावन हो जाएं, पत्थर-पत्थर मांगे पानी,मिट्

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