प्यार भरी हैं नज़र तुम्हारी, रातें आंखों में समाई,
माथे पर जैसे सृष्टि, इतनी सोच में गहराई,
देखो सबकी काया-काया दर्पण हैं,
प्रेम नहीं है तो कहों क्या जीवन हैं!
रुप, कि आगे पानी-पानी हो जाएं जवानी,
बालपन कि पुस्तक में परियों जैसी रानी!
जिनपे चलते जाएं, वो राहें पावन हो जाएं,
पत्थर-पत्थर मांगे पानी,मिट्टी पागल हो जाएं!
दिल जिसकी पगधूलि पर अर्पण हैं,
प्रेम नहीं है तो कहों क्या जीवन हैं!