नदी बह जाती,
किनारे से
बहकर आते
आंसू'ओ में!
बादल डमरु
झटकता,
लय टपकती
बुंद रुपी!
किनारे से कोई
लौट जाता,
पलकें पोछते हुएं!
4 जनवरी 2016
नदी बह जाती,
किनारे से
बहकर आते
आंसू'ओ में!
बादल डमरु
झटकता,
लय टपकती
बुंद रुपी!
किनारे से कोई
लौट जाता,
पलकें पोछते हुएं!
किनारे से कोई लौट जाता पलकें पोछते हुए...बहुत सुन्दर !
4 जनवरी 2016