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प्रेम रुप

3 मई 2016

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सुगंध हो तुम लोकगीत की,

लोकगीत जिसमें पक्ष प्रेम का,

प्रेम में बसी हैं प्रीत जहां की 

प्रीत में रुह-देह अर्पण करलो,

प्रेम रुप ईश्वर का दर्शन करलो! 


मिल जाएगा विश्व सूंदरी सा तन, 

महकने लगेगा फिर चंदन सा मन,

मन में बसा लो कोई योवन सुहाना,

रुप न चूरा ले कोई अल्हड़ तुम्हारा, 

रुप-तन-मन को समर्पण करलो,

प्रेम रुप ईश्वर का दर्शन करलो! 

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प्रेम रुप

3 मई 2016
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सुगंध हो तुम लोकगीत की,लोकगीत जिसमें पक्ष प्रेम का,प्रेम में बसी हैं प्रीत जहां की प्रीत में रुह-देह अर्पण करलो,प्रेम रुप ईश्वर का दर्शन करलो! मिल जाएगा विश्व सूंदरी सा तन, महकने लगेगा फिर चंदन सा मन,मन में बसा लो कोई योवन सुहाना,रुप न चूरा ले कोई अल्हड़ तुम्हारा, रुप-तन-मन को समर्पण करलो,प्रेम रुप

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