गीत भले बीन सावन के गाऊ मैं
संग तेरे पहली प्रीत गुनगुनाऊ मैं
पृथ्वी चक्र सा प्रेम कहा से लाऊ मैं
नौ लखा तुझपर हो जाऊ मैं,
संजीवनी रस सा तेरे बालो पर
हो जाऊ घागर कमर पर,
भाग्य रंग, सा लगु तेरे गालो पर
बीन ईच्छा का देह कहा से लाऊ मैं
पृथ्वी चक्र सा प्रेम कहा से लाऊ मैं
मैं हथेली समझ के दरीयां में
योवन कंठ पे तु बुंदो की माला,
बावली,दिवानी, तु इक मीरा
मन नगर की तु बनी बृजबाला,
छोड़ हठ, वृंदावन कहा से लाऊ मैं
पृथ्वी चक्र सा प्रेम कहा से लाऊ मैं