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गज़ल

10 जनवरी 2016

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          * गज़ल *


प्रकृति का अनमोल खजा़ना

दिखता मौसम आज सुहाना


दृश्य-जगत भाया आँखों को

अब ना करना कोई बहाना


क्यूँ करें परवाह किसी की

चाहे देखे हमें जमाना


करलो चाहे जितनी मस्ती

कल हमें फिर यहाँ से जाना


गुमशुम आखिर क्यों बैठे हो

छेड़ो कोई नया तराना


'व्यग्र'खुशियां अपनालो तुम

बन जायेगा ताना-बाना 

      

             *गज़लकार*

     - विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

         ०९५४९१६५५७९



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औकात (लघुकथा)

27 दिसम्बर 2015
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गज़ल

10 जनवरी 2016
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          * गज़ल *प्रकृति का अनमोल खजा़नादिखता मौसम आज सुहानादृश्य-जगत भाया आँखों कोअब ना करना कोई बहानाक्यूँ करें परवाह किसी कीचाहे देखे हमें जमानाकरलो चाहे जितनी मस्तीकल हमें फिर यहाँ से जानागुमशुम आखिर क्यों बैठे होछेड़ो कोई नया तराना'व्यग्र'खुशियां अपनालो तुमबन जायेगा ताना-बाना                  

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11 जनवरी 2016
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गाऊँ मै कैसे... (गीत)

27 जनवरी 2016
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              गाऊँ मैं कैसे... (गीत)           ===============प्रणय गीत गाऊँ मैं कैसे |             बोले आतंक लहू की भाषा             हर मन बैठी आज हताशा             राजनीति डायन ने देखो             बदली जन-जन की परिभाषा                      फिर मैं प्रीति जताऊँ कैसे |                      प्रणय गीत

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मदमाती होली रे...

10 मार्च 2016
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मदमाती होली रे...🙏🙏🌹🌹**********************होली में हुड़दंगबजेगी चंगरंग की बौछारेंभावज के देवरलावें घेवरलगे प्यारे-प्यारें🌹🌹🌹🌹डारे सबही रंगचढ़ाँएं भंगमदमाती होली रेनारी हुई निडरचलायें मुद्गरनैनों से गोली रे🌹🌹🌹🌹फागुन की रातनिराली बातचाँदनी छिटकायेंगावें गौरी गीतपुरानी रीतिसजन से इठलायें🌹

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