"शिरकत ही तुम कि इस कदर, हर हरकत मेरी शरारत करने लगी, तुम मानो या मानों, तेरे इंतजार में घङीयाँ वक्त से तेज चलने लगी " कितनी मोहब्बत करता हूँ, यह मैं बता नहीं सकता क्योंकि मेरे जैसे गूँगे की दिल की भाषा तो तुम बिन बोले ही समझ गई तो फिर और मैं क्या बताऊँ कि मैं कितनी मोहब्बत करता हूँ. हम एक-दूसरे को बस यूँ ही चाहेंगे बिना बोले, बिना समझाएं क्योंकि प्यार को समझने की नहीं, करने की कोशिश करते रहना चाहिए. तुम हमेशा बोलती रहती हो कि मुझे बेपनाह चाहते रहना लेकिन मैं तो बस तुम्हारे पनाह के दायरे में ही रह कर बस यूँ ही चाहता रहूँगा. रजत तुम पढ़ाई पर ध्यान दो और छोङो यह पागलपन. ऐसा लग रहा है कि प्यार के ऊपर थेथीस लिखोगे! प्यार के ऊपर रिसर्च कर के कुछ नहीं मिलेगा. समझे पागल प्रेमी. नहीं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्योंकि मैं तो तुम्हारे प्यार के लिए पुस्तकालय खोलने की तैयारी कर रहा हूं ताकि हमारे प्रेम ग्रंथों को वहाँ रखा जा सकें. रजत, तुम ना सचमुच में सनकी हो, जाओ मुझे बात नहीं करना. रेहाना, तुमने ऐसे लङके को अपने दिल में जगह दी , जिससे कोई बात नहीं करता है क्योंकि भगवान ने मुझे जुबान नहीं दिया है तो फिर बोलो मैं सनक गया तो इसमें मेरी क्या गलती है? तुम इस गूँगे की गूंज हो तो मैं क्या इतना भी नहीं कर सकता तुम्हारे लिए. लोग मेरी मजाक उड़ाते हैं लेकिन तुमने मुझे सीने से लगाया तो क्या मैं तुमको दो पल का प्यार भी नहीं दे सकता. तुम मुझे पागल, सनकी जो बोलना हैं बोलो पर मैं तो तुम्हें ऐसे ही चाहूँगा क्योंकि माँ कहती हैं कि नारी बस प्यार की भूखी व सम्मान की प्यासी होती हैं. देखो रेहाना, मुझे पता है कि हम कभी नहीं मिल सकते क्योंकि तुम मुस्लिम और मैं दिव्यांग हिन्दू जो ठहरा पर हमें प्यार करने से तो कोई रोक नहीं सकता और मोहब्बत में रूह का मिलना जरूरी होता हैं ना कि जिस्म का मिलना. मैं आज के परिवेश में पला बढा जरूर लेकिन मेरी मानसिकता में नैतिकता कूट कर भरा है, मेरे परिवार ने. इसलिये जिस परिवार ने मुझे समाज व तुम्हारे काबिल बनाया है मैं उस परिवार के खुशियों के खिलाफ जा कर उनके संस्कार व दुलार पर अंगुली नहीं उठने दूँगा. चाहे तुम मुझे बेवफा समझो या डरपोक पर जो सच है उसको समझने की जरूरत है ना कि सिध्द करने की. रजत, यहां तो लोग जुबान होते हुए भी जुर्म के खिलाफ नहीं बोल पाते हैं लेकिन तुम तो गूंगा होते हुए भी मेरी आवाज बने और कोर्ट में गवाही दे कर मुझे मेरी जिंदगी के बचे हुए इज्ज़त वापस लाए. जो उतनी भीङ को चीर कर नारी के लिए लङे वह डरपोक व बेवफा कैसे हो सकता है. जिसके नज़र में ही पारदर्शिता हो उससे शब्दों में सफाई लेने की जरूरत नहीं हैं. गले में मंगलसूत्र व मांग में सिन्दूर लगा लेने से कोई अपना नहीं हो सकता है. तुम अपने दिल के घर में इज्जत के साथ जो जगह दिए, इतना ही बहुत नसीब वालों को नसीब होता है. "मोहब्बत नज़र से करो, नज़र में रहोगे, प्रेम दिल से करो, ताउम्र दिल में बसे रहोगे". रेहाना बस इतना कहना चाहता हूँ कि जब तक मेरी साँस व मस्तिष्क मेरे वश में हैं, तुम मेरे दिल में यूँही रहोगी, चाहे तुम कितनी भी दूर चली जाओं. किसी की दुल्हन बन जाओं पर तुम बस मेरे लिए मेरी रेहाना बन कर रहोगी, यूँही नाक चढाएं. "
वाह! क्या तोहफा दिया, रजत ने तुम्हारी अम्मा को. कोई इतना प्यार भी कर सकता है! अब पता चला कि मेरी रोजी किसकी बेटी हैं. रोजी वाकई में तुमने मुझे बहुत अच्छा तोहफा दिया अपने माँ के डायरी से. मैं और कभी जिद्द नहीं करूंगा तुमको भागने के लिए क्योंकि मोहब्बत शांति के लिए किया जाता है, भागा भागी, केस मुकदमा व मारपीट के लिए नहीं. वाकई में महान है वो गूँगा इंसान, जिसके गूँज ने मेरे मन में वास्तविक प्यार जगा दिया.